इंदौर। मानसून से पहले इंदौर जिला पंचायत ने अपने क्षेत्र में स्थित 25 में से 18 तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जल संग्रहण को लेकर अभियान छेड़ा गया है। तालाबों के गहरीकरण की प्रक्रिया भी कराई जा रही है। हजारों डंपर मिट्टी खेतों में पहुंचाई जा रही है। किसान सुरक्षा से उपजाऊ मिट्टी का प्रयोग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 50 हेक्टेयर जितने बड़े 345 तालाब हंै। बारिश आने के पूर्व जिले में भू जल स्तर बढ़ाने की कवायद शुरू हो चुकी है। शहरी क्षेत्रों के तालाबों से अतिक्रमण हटाते हुए 30 मीटर के दायरे को साफ कराया जा रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तेज हो चुुकी है। जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन के अनुसार अंबेडकर नगर महू में सबसे ज्यादा 102 तालाब, वहीं सांवेर में 98, देपालपुर में 79 और इंदौर जनपद में सबसे कम 66 तालाब स्थित हंै। ग्रामीण क्षेत्र में कुल 345 तालाब चिन्हित किए गए हैं। इनमें से जिला पंचायत में इस साल 56 तालाबों के जलहट अभियान के तहत शामिल किया है, जबकि 36 तालाबों को जनभागीदारी से जीर्णोद्धार, गहरीकरण, अतिक्रमण हटाने, मानसून से पहले पौधारोपण और सौंदर्यीकरण करने के लिए चिन्हित किया गया है। भू जल स्तर में वृद्धि के लिए अभियान छेडक़र कार्य कराया जा रहा है।
25 में था अतिक्रमण
कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों का दौरा कर अतिक्रमण वाले क्षेत्रों की सूची तैयार की गई थी, जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 25 तालाबों पर अतिक्रमण पाया गया था। जिला पंचायत ने दो महीने तक लगातार कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण मुक्ति में सफलता पाई है। बचे हुए 7 तालाबों के मानसून से पहले अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।
611 किसानों ने लिया लाभ
तालाबों की उपजाऊ मिट्टी का फायदा लेते हुए 611 किसानों ने अच्छी फसल के लिए हजारों डंपरों से मिट्टी खेतों में डलवाई है। सीईओ जैन के अनुसार तालाबों से अतिक्रमण हटाने के लिए उनका सीमांकन कराया जा रहा है, ताकि उन्हें राज्य सरकार के स्वामित्व के रूप में रिकार्ड में दर्ज कराया जा सके। ज्ञात हो कि इंदौर जिले में 61 तालाब 2 हेक्टेयर में फैले हुए हैं, वहीं 97 तालाब 5 हेक्टेयर का क्षेत्रफल रखते हैं। 63 तालाब 10 हेक्टेयर में तो 74 तालाब 20 हेक्टेयर क्षेत्र के भू जल स्तर को बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में ही 30 तालाब 40 हेक्टेयर तक के तो 11 तालाब 50 हेक्टयेर क्षेत्रफल तक फैले हुए हैं, जो कि जल संग्रहण के लिए काफी फायदेमंद हैं।
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