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    18 या 19 किस दिन मनेगी जन्माष्टमी? जानें सही तिथि, शुभ योग व पूजा समाग्री

  • August 17, 2022

    नई दिल्‍ली। हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार हर साल भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि बजे मथुरा (Mathura janmashtami 2022) में कृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन लोग व्रत रखकर बाल गोपाल के आगमन के लिए तरह-तरह के पकवान बनाते हैं, मंदिरों और घरों में सजावट की जाती है. पंचांग भेद के कारण इस साल जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) दो दिन 18 और 19 अगस्त को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं जन्माष्टमी की तिथि और कब है रोहिणी नक्षत्र

    किस दिन मनेगी जन्माष्टमी ? (Krishna Janmashtami 2022 Date)
    इस साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दो दिन पड़ रही है, 18 अगस्त 2022 गुरुवार की रात 09:21 से अष्टमी तिथि शुरू हो रही है, 19 अगस्त 2022 शुक्रवार की रात 10.50 अष्टमी तिथि का समाप्त हो जाएगी. धार्मिक मान्याओं के अनुसार बाल गोपाल का जन्म रात 12 बजे हुआ था लिहाजा रात्रि में कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के लिए 18 अगस्त का दिन उत्तम है. वहीं सूर्योदय की दृष्टि से देखें तो 19 अगस्त को पूरे दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में 19 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा.


    कब है रोहिणी नक्षत्र ? (Krishna Janmashtami 2022 Rohini nakshatra)
    कान्हा का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था लेकिन खास बात ये है कि इस साल 18 और 19 अगस्त दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. 19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र देर रात 01.53 तक रहेगा उसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरु होगा.

    जन्माष्टमी 2022 राज योग (Krishna Janmashtami 2022 Shubh yoga)
    जन्माष्टमी इस साल बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी. कृष्ण के जन्मोत्सव पर वृद्धि और ध्रुव नामक दो शुभ योग बन रहे हैं. मान्यता है कि वृद्धि योग में बाल गोपाल संग मां लक्ष्मी स्वरूपा राधा जी की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है.

    वृद्धि योग प्रारंभ – 17 अगस्त 2022 रात 08.56

    वृद्धि योग समाप्त – 18 अगस्त रात 08.41 तक

    ध्रुव योग प्रारंभ – 18 अगस्त 2022 रात 08.41 से

    ध्रुव योग समाप्त – 19 अगस्त रात 08.59 पर तक

    जन्माष्मटी 2022 पूजन सामग्री (Krishna janmashtami Puja Samagri)
    लड्‌डू गोपाल की मूर्ति, सिंहासन, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, फूल माला, कमलगट्टे, पीले वस्त्र, केले के पत्ते

    कुशा और दूर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी के पत्ते, शुद्ध घी, दही, दूध, मौसम के अनुसार फल, इत्र, पंचामृत, पुष्प

    कुमकुम, अक्षत, आभूषण, मौली, रुई, तुलसी की माला, खड़ा धनिया, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सप्तमृत्तिका, सप्तधान, बाजोट या झूला

    नैवेद्य या मिठाई, छोटी इलायची, लौंग, धूपबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, माखन, मिश्री, कलश, दीपक, धूप, नारियल, अभिषेक के लिए तांबे या चांदी का पात्र

    मोरपंख, बांसुरी, गाय की प्रतिमा, वैजयंती माला, लाल कपड़ा, तुलसी के पत्ते, आभूषण, मोट मुकुट, खीरा, गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र आदि।

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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