मुंबई। प्लास्टिक (Plastic) से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दक्षिण कोरिया (Oouth Korea) के बुसान में जुटे 175 देशों के प्रतिनिधि कई मुद्दों पर एकमत नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संधि पर इस वार्ता के अध्यक्ष लुईस वायस ने शुक्रवार को एक दस्तावेज जारी किया, ताकि सभी देश एक समझौते तक पहुंच सकें। हालांकि इसके सुझावों का विरोध भी शुरू हो गया है।
दस्तावेज में प्लास्टिक उत्पादन में कमी करने के लिए वैश्विक लक्ष्य तय करने का जिक्र नहीं है। वहीं, भारत ने साफ कहा कि विकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी मदद के साथ ही प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मिलना चाहिए। समिति के अध्यक्ष वाल्डिविसो की ओर से जारी सुझाव में प्लास्टिक उत्पादों की वैश्विक सूची बनाने और गरीब देशों को वैश्विक प्लास्टिक संधि पर काम करने के लिए वित्तीय मदद देने जैसे विचार शामिल हैं। इसमें कहा गया कि प्लास्टिक प्रदूषण गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्या है।
बुसान में संयुक्त राष्ट्र अंतर-सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी-5) की पांचवीं और अंतिम बैठक में प्लास्टिक पर वैश्विक रूप से बाध्यकारी नियमों पर सहमति बनाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। एक दिसंबर को बैठक का आखिरी दिन है। हालांकि दस्तावेज में यह स्पष्ट नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय संधि में प्लास्टिक उत्पादन में कमी के लिए वैश्विक लक्ष्य तय करना चाहिए या नहीं। दस्तावेज में यह भी साफ नहीं किया गया कि समृद्ध देश फंड में कितनी रकम देंगे।
प्लास्टिक उत्पादन कम करना जरूरी
ग्रीनपीस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जी. फोर्ब्स ने कहा कि प्लास्टिक उत्पादन को कम करना संधि का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। प्लास्टिक निर्माता संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली अंतरराष्ट्रीय रासायनिक संघ परिषद के प्रवक्ता ने स्टीवर्ट हैरिस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए इन कोशिशों का समर्थन किया है, लेकिन वह उत्पादन की सीमा तय करने के बजाय प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने और पुनर्चक्रण पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। दूसरी तरफ, सऊदी अरब जैसे पेट्रोकेमिकल उत्पादक देश प्लास्टिक उत्पादन पर सीमा लगाने का विरोध करते रहे हैं।
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