वाशिंगटन । यूएस डिपार्टमेंट ऑफ लेबर (US Department of Labor) के खिलाफ कुछ संगठन, यूनिवर्सिटीज और बिजनेसमैन समेत 17 लोगों की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा हाल ही में आए मजदूरों से जुड़े H1B वीजा के अंतरिम अंतिम नियम को लेकर दायर किया गया है। कोलंबिया की जिला कोर्ट में यह मुकदमा दर्ज किया गया है। बतादें कि इस माह की शुरूआत में ही डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने H-1B visa को लेकर नया नियम जारी किया है।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यह नियम निश्चित रूप से मनमाना, गलत और तर्कहीन है जिसके लिए प्रक्रियात्मक नियमों का पालन नहीं किया गया है। बतादें कि विशेष काम के लिए कर्मचारियों को दिया जाने वाला वीजा अमेरिका में एच-1 बी वीजा कहा जाता है। एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों के तकनीकी विशेषज्ञ नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद अमेरिकी सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं।
अमेरिकी सरकारी डेटा के मुताबिक, अमेरिका जितना H-1B visa जारी करता है उसका 70 पर्सेंट भारतीय प्रफेशनल्स को जारी किया जाता है। उसके बाद चीन का नंबर आता है। नए नियम के तहत अमेरिकन वर्कर्स को रोजगार का ज्यादा मौका मिलेगा और इमिग्रेशन पर बेहतर लगाम लगेगा। अमेरिका हर साल 85000 H-1B visa जारी करता है। इस वीजा की मदद से विदेशी स्किल्ड वर्कर्स अमेरिका नौकरी के लिए पहुंचते हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने स्थानीय कामगारों की सुरक्षा के लिए चुनाव से पहले एच1बी वीजा को लेकर नई पाबंदियां लगा दी हैं। जिसके बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यूएस सरकार के इस कदम से भारत के हजारों आइटी (सूचना प्रौद्योगिकी) पेशेवर प्रभावित होंगे। नए प्रतिबंधों को लेकर कहा गया है कि इसका उद्देश्य योग्य अभ्यर्थियों को एच1बी वीजा देना है ।
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