नई दिल्ली । कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों के 17 परिवारों (17 Kashmiri Pandit Families) ने आतंकवादी हमलों के बीच (Amid Terrorist Attacks) मई के बाद कश्मीर में अपना घर छोड़ दिया (Leave Their Homes) । इस साल पूरे कश्मीर में नागरिकों, अल्पसंख्यकों और प्रवासियों पर टारगेट हमलों में कम से कम 17 लोग मारे गए हैं। इनमें से तीन कश्मीरी पंडित थे।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने कहा कि नौ परिवार सोमवार को घाटी से चले गए। “आज कश्मीरी पंडितों के 8 और परिवार दक्षिण कश्मीर से घाटी छोड़ गए। 5 सितंबर 2022 से 17 कश्मीरी पंडित के परिवारों ने कश्मीर छोड़ दिया।” संघर्ष समिति अध्यक्ष सजय टिक्कू ने कहा कि वह घाटी छोड़ने वाले परिवारों से बात करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं उनसे (परिवारों) बात करूंगा कि 32 साल बाद उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए क्या मजबूर किया?”
15 अक्टूबर को 56 वर्षीय कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण की शोपियां जिले में उनके आवास के पास आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स जिसे व्यापक रूप से लश्कर-ए-तैयबा के एक अंग के रूप में देखा जाता है, उन्होंने हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस घटना के दो दिन बाद पूरे जम्मू कश्मीर में व्यापक विरोध शुरू हो गया था।
इसी वर्ष 16 अगस्त को शोपियां जिले में एक अन्य कश्मीरी पंडित सुनील कुमार भट की हत्या कर दी गई थी, जबकि उसका भाई घायल हो गया था। पुलिस ने बताया था कि दोनों अपने सेब के बाग में काम कर रहे थे, जब हमला हुआ। इसी तरह 12 मई को समुदाय के एक सरकारी कर्मचारी राहुल भट की आतंकवादियों ने बडगाम में उनके कार्यालय के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी हत्या के विरोध में कई प्रदर्शन हुए, जिसमें 350 से अधिक कर्मचारियों ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
इन घटनाओं के बाद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बाद में कहा कि घाटी के सभी कश्मीरी पंडित जिला और तहसील मुख्यालय में तैनात किए जाएंगे। प्रधान मंत्री रोजगार पैकेज के तहत काम करने वाले कश्मीरी पंडितों ने इस्तीफे की धमकी दी थी।
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