नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2021 से इस साल अक्टूबर तक राजस्थान में पराली जलाने की घटनाओं में 160 फीसदी और पंजाब में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पंजाब में अक्टूबर 2021 में पराली जलाने की घटना 13,269 से बढ़कर, अक्टूबर 2022 में 16,004 हो गई, जबकि राजस्थान में यह संख्या 124 से बढ़कर 318 हो गई. उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि दोनों राज्यों की सरकारें पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही हैं और इसके विपरीत, दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट में योगदान दे रही हैं.
पृथ्वी विज्ञान विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने बताया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में उत्तरोत्तर गिरावट दर्ज की गई है. उत्तर प्रदेश में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं अक्टूबर 2021 में 1,060 से घटकर इस साल अक्टूबर में 768 हो गई, जबकि हरियाणा के लिए यह संख्या 2,914 से घटकर 1,995 हो गई. एक बयान में मंत्री के हवाले से कहा गया है, ‘इस तरह के अनुमान बताते हैं कि या तो राजस्थान और पंजाब की सरकारें हवा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर नहीं हैं या उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए मशीनों की खरीद के लिए दिए गए धन का सही उपयोग नहीं किया है.’
जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र ने 2018-19 से लेकर अब तक पराली प्रबंधन के लिए अकेले पंजाब को लगभग 1,500 करोड़ रुपये सहित राज्यों को 3,138 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. गौरतलब है कि दिल्ली और पंजाब सरकार के तमाम दावों के बावजूद इस साल भी राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का प्रकोप बना रहा. बीते एक सप्ताह से दिल्ली एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में बनी हुई है. प्रदूषण की वजह से लोगों को आंखों में जलन, खांसी, गला खराब होना, सांस लेने में तकलीफ जैसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में सांस से संबंधित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.
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