निर्माण कार्यों को दी सशर्त अनुमति भी बाधक… स्थानीय मजदूरों को साइट पर ही कैसे ठहरा सकेंगे..?
इंदौर। कोरोना की पहली लहर के बाद रियल इस्टेट (real estate) के कारोबार ने गति पकड़ी थी, लेकिन अभी दूसरी लहर के बाद फिर सारे निर्माण कार्य ठप पड़ गए। वहीं रेरा ने भी अनुमति नहीं दी, जिसके चलते इंदौर के ही 160 कंस्ट्रक्शन से संबंधित प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं। अभी जो 1 जून से अनलॉक (Unlock) की प्रक्रिया शुरू की गई उसमें निर्माण कार्यों को सशर्त मंजूरी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि सभी मजदूरों को निर्माण साइट पर ही ठहराने की व्यवस्था करना पड़ेगी।
रियल इस्टेट (real estate) का कारोबार वैसे तो तीन-चार सालों से लगातार मंदी का शिकार रहा। नोटबंदी के बाद से ही रियल इस्टेट (real estate) कारोबार पर मंदी छाई रही। रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी। हालांकि गत वर्ष भी 1 जून से ही लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अनलॉक (Unlock) की प्रक्रिया शुरू की गई थी और कुछ समय बाद निर्माण कार्यों को भी मंजूरी दी गई। वहीं एकाएक रियल इस्टेट के कारोबार में तेजी भी देखी गई। खासकर छोटे भूखंडों की टाउनशिप-कालोनियों में अच्छी खरीद-फरोख्त हुई और बड़ी संख्या में रजिस्ट्रियां भी करवाई गईं। लेकिन अभी अप्रैल से फिर कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शुरू हो गया, जिसके चलते रियल इस्टेट की गतिविधियां ठप पड़ गईं। दरअसल पहले तो शासन ने रेरा के तत्कालीन चेयरमैन के साथ दो तकनीकी सलाहकार और एक आईटी सलाहकार को हटा दिया और महीनों बाद नियुक्तियां की। इसके चलते न तो नए प्रोजेक्टों की सुनवाई हुई और न ही रजिस्ट्रेशन कर मंजूरी दी जा सकी, जिसके चलते आवासीय, व्यावसायिक व अन्य सभी तरह के प्रोजेक्ट ठप पड़ गए। जिनके पास पहले से मंजूरी थी उन्हीं साइटों पर काम शुरू हुआ, लेकिन वह भी कफ्र्यू-लॉकडाउन के कारण बंद पड़ा था। अब 1 जून से निर्माण कार्यों को मंजूरी दी है, मगर उसमें यह शर्त लगा दी कि मजदूरों को निर्माण कार्य साइट पर ही ठहराना पड़ेगा। इस संबंध में क्रेडाई का भी कहना है कि अधिकांश बाहरी मजदूर लॉकडाउन (Lockdown) लगते ही गांव चले गए और अब स्थानीय मजदूर बचे हैं, उन्हें कैसेे साइटों पर ठहराया जा सकता है?
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