नई दिल्ली: मेघालय हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े साल 2021 के एक मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एक 16 साल की लड़की यह फैसला ले सकती है कि उसका किसी के साथ संबंध बनाना सही है या नहीं. हाई कोर्ट ने आगे कहा कि 16 वर्षीय लड़की अपने सेक्सुअल रिलेशन का फैसला ले सकती है. इतना ही नहीं कोर्ट ने साल 2021 की यौन उत्पीड़न से जुड़ी एफआईआर को रद्द कर दिया. दरअसल, मेघालय हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि शारीरिक संबंध दोनों की सहमति के बाद बनाए गए थे.
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की पीठ के मुताबिक, 16 साल की उम्र में किशोर के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए कोर्ट यह तर्कसंगत मानेगा कि इतनी उम्र का व्यक्ति संभोग के संबंध में अपने लिए भलाई के फैसले लेने में सक्षम है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, 16 साल की लड़की उसकी गर्लफ्रेंड थी और वो दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे. जब लड़की की मां को पता चला तो लड़की की मां ने आईपीसी की धारा 363 और पॉक्सो एक्ट के चलते साल 2021 में एफआईआर दर्ज कराई.
मेघालय हाई कोर्ट ने रद्द किया केस
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि इस मामले को यौन हिंसा के तौर पर न देखा जाए क्योंकि कोर्ट में लड़की ने अपने बयान में बताया कि वो लड़के की प्रेमिका है. याचिकाकर्ता के मुताबिक लड़की ने ये भी पुष्टि की कि शारीरिक संबंध दोनों की मर्जी से बने हैं और इसमें कोई भी जबरदस्ती नहीं की गई है. इस पूरे मामले के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और इस केस को रद्द कर दिया. इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि 16 साल की लड़की अपने सेक्सुअल रिलेशनशिप से जुड़े फैसले लेने में सक्षम है.
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