- नगर निगम को हर साल एक करोड़ से ज्यादा का राजस्व नुकसान
- अब अभियान चलाकर नए ट्रेड लाइसेंस बनाएगा निगम, जोनवार अधिकारी नियुक्त
उज्जैन। शहर में लगभग 16 हजार व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, लेकिन सिर्फ 2 हजार लोगों ने ही ट्रेड लाइसेंस बनवाए है। शेष प्रतिष्ठान बिना ट्रेड लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं, जिससे नगर निगम को प्रति वर्ष एक करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 366 और 427 के अंतर्गत नगर निगम क्षेत्र में आने वाले सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य किया हुआ है। बिना ट्रेड लाइसेंस के किसी व्यक्ति को कारोबार संचालित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है, लेकिन मुख्य शहर में ही बैगर ट्रेड लाइसेंस के दुकानें संचालित हो रही हैं। ऐसे में नगर निगम के राजस्व में ट्रेड लाइसेंस की फीस जमा नहीं हो रही है। इससे नगर निगम को हर साल अनुमानित एक करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। निगम के आंकड़ों पर नजर डाले तो शहर में 14 हजारों दुकानें-व्यावसायिक प्रतिष्ठान बिना ट्रेड लाइसेंस के चल रहे हैं। पिछले कई साल से नगर निगम दुकानदारों के लिए ट्रेड लाइसेंस की अनिवार्यता का ढोल पीट रहा है, लेकिन करीब दो हजार ने ही ट्रेड लाइसेंस ले रखा हैं। शेष इससे बचते आ रहे हैं। इसमें मैरिज गार्डन वाले, कोचिंग संस्थान, मेडिकल स्टोर्स, उद्योगिक इकाइयां भी शामिल हैं। मामले में नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक ने अब विशेष अभियान चलाकर शहर में सभी प्रकार के व्यवसाय के लिए ट्रेड लाइसेंस बनवाना अनिवार्य किया हैं। इसके क्रियान्वयन हेतु जोन वार क्षेत्राधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। जो जल्द ही अपने अपने क्षेत्र में 152 श्रेणी के व्यवसाय, इंडस्ट्री, और मैन्युफैक्चर से जुड़े काम काज की सूची बनाकर ट्रेड लाइसेंस पंजीयन अभियान पर काम शुरू करेंगे।