इंदौर, डा जितेन्द्र जाखेटिया। अटल बिहारी वाजपेयी इंदौर सिटी बस कंपनी में अब वेतन के लाले पड़ गए हैं। इस कंपनी में काम करने वाले 150 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है। अभी भी यह नहीं कहा जा सकता है कि इन कर्मचारियों को वेतन कब तक मिल सकेगा। करीब 50 करोड़ रुपए के घाटे में इंदौर की सिटी बस कंपनी चल रही है। इस कंपनी द्वारा बीआरटीएस कॉरिडोर पर आई-बस, शहर में सिटी बस और दूसरे शहरों तथा राज्यों के लिए चार्टर्ड बस का संचालन किया जा रहा है। पूरे देश में पहली बार एक आदर्श मॉडल पर इंदौर में लोक परिवहन की यह सेवा शुरू हुई थी। इस सिटी बस कंपनी की आर्थिक सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। बस कंपनी द्वारा बसों के संचालन के साथ ही बीआरटीएस कॉरिडोर पर विज्ञापनों का प्रदर्शन करने से भी राजस्व अर्जित किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त बसों पर भी विज्ञापन के प्रदर्शन के माध्यम से राजस्व का संग्रहण हो रहा है। इसके अलावा बस कंपनी द्वारा पार्सल सेवा चलाकर भी कमाई की जा रही है। कमाई के इतने ज्यादा सोर्स होने के बावजूद यह बस कंपनी लगातार घाटे में चल रही है। इस बस कंपनी को बुजुर्गों और विद्यार्थियों को बस यात्रा में किराए में रियायत देने के लिए नगर निगम द्वारा पैसे देकर घाटे की पूर्ति की जाती है। इसके अतिरिक्त इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बस कंपनी को बस शेल्टर होम बनाने के लिए मुफ्त में जमीन भी दी जाती है। स्थिति कितनी खराब है इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस कंपनी में काम करने वाले 150 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है। बहुत कम वेतन पर काम करने वाले यह कर्मचारी दो महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण हैरान-परेशान हैं।
यह कर्मचारी लगातार बस कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई उन्हें यह बताने की स्थिति में भी नहीं है कि उन्हें वेतन कब तक मिल सकेगा। इस बारे में जब जानकारी निकाली गई तो पता चला कि इन कर्मचारियों को बस कंपनी द्वारा निजी क्षेत्र की प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से काम पर लिया गया है। इस प्लेसमेंट एजेंसी का कांटेक्ट 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। वैसे तो कहने के लिए सिटी बस कंपनी में नियम है कि कांटेक्ट वाली एजेंसी को बस कंपनी से पैसा कभी भी मिले, लेकिन इस एजेंसी द्वारा कर्मचारियों को बराबर हर माह के पश्चात उनका वेतन दिया जाएगा। इस नियम के बावजूद वर्तमान में कांटेक्ट वाली कंपनी द्वारा अभी भी कर्मचारियों को उनका बकाया दो महीने का वेतन नहीं दिया गया है, जो करीब 39 लाख रुपए होता है। सिटी बस कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि 1 अप्रैल से नई कंपनी जब कामकाज संभाल लेगी तो फिर स्थिति बराबर हो जाएगी। यह अधिकारी अभी यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि इन 150 कर्मचारियों का रुका हुआ वेतन उन्हें कब तक मिल सकेगा। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, जब बस कंपनी के कर्मचारियों का वेतन दो महीने तक रुक गया हो। अभी 3 महीने पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। उस समय पर भी बस कंपनी के अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद ही प्लेसमेंट वाली कंपनी द्वारा इन कर्मचारियों को उनका बकाया वेतन दिया गया था।
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