ग्वालियर: ग्वालियर में 15 साल की नाबालिग से रेप के बहुचर्चित मामले में सीबीआई की जांच में नया खुलासा हुआ है. सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है कि पीड़िता के साथ आरोपी ने रेप नहीं किया था, बल्कि पीड़िता ने अपने मुंहबोले भाई के साथ फिजिकल रिलेशन बनाए थे. उसके बाद शख्स को किसी कारण से फंसाने के लिए उस पर आरोप मढ़ दिया. पीड़िता ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में कर दी थी. इसकी वजह से इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिरी थी. अब सीबीआई जांच में सारी कहानी साफ हो गई है. सीबीआई ने लड़की को नाबालिग मानने से भी इनकार कर दिया है.
बता दें, आरोप लगाने वाली 15 साल की लड़की ग्वालियर की सीपी कॉलोनी इलाके में रहती है. उसने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की थी कि वह एक ठेकेदार के घर में रहती है और उसके घर में साफ-सफाई का काम करती है. 31 जनवरी 2021 की रात 8 बजे ठेकेदार का पोता अपने दोस्त के साथ आया. उसने घर का दरवाजा खटखटाया. उसने जब दरवाजा खोला तो फिर दोनों ने अंदर आकर उसके साथ गलत काम किया. सीएम हेल्पलाइन में शिकायत होने के बाद पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी पर रेप और दूसरे पर धमकाने का केस दर्ज कर लिया था. हालांकि, पुलिस को इस मामले में पीड़िता की कहानी पर संदेह था.
मुरार थाने में केस दर्ज कराने के कुछ दिन बाद पीड़िता की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इसमें पीड़िता के वकील ने तर्क दिया कि उसके साथ पुलिस ने अमानवीय बर्ताव किया. पुलिस ने पीड़िता के साथ मारपीट की, साथ ही उसे अपने बयान बदलने के लिए भी दबाव डाला. इस याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई. हाई कोर्ट ने जांच में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन एएसपी सुमन गुर्जर, मुरार सीएसपी आरएन पचौरी के तबादले के आदेश दिए थे. वहीं, मुरार थाने के टीआई अजय पवार, एसआई कीर्ति उपाध्याय पर केस दर्ज करने के लिए कहा था.
पीड़िता की याचिका पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस भरोसे लायक नहीं है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौप दी थी. सीबीआई ने जांच में सबसे पहले घटना वाले दिन और तारीख के सीसीटीवी फुटेज निकलवाए. सीसीटीवी में 31 जनवरी 2021 की रात 8 बजे पीड़िता के घर से उसका मुंहबोला भाई रामवीर शर्मा निकलता हुआ दिखा. जबकि, दुष्कर्म के आरोपी उसमें नजर ही नहीं आए. सीबीआई ने जब पीड़िता के मोबाइल की डिटेल निकलवाई तो खुलासा हुआ कि पीड़िता और उसके मुंहबोले भाई रामवीर के बीच घटना वाले दिन करीब 30 बार बातचीत हुई. इसके बाद सीबीआई को भी पीड़िता की कहानी पर पूरी तरह से संदेह हो गया था. यही वजह कि सीबीआई ने इस मामले में डीएनए जांच की अनुमति मांगी.
सीबीआई ने मामले की पुख्ता जांच के लिए पीड़िता के सीमन का डीएनए कराने का फैसला किया. सीबीआई ने इस मामले में दोनों आरोपी और पीड़िता के मुंहबोले भाई रामवीर का डीएनए टेस्ट कराया. रिपोर्ट आई तो दोनों आरोपियों से डीएनए मैच नहीं हुआ, वहीं सीमन का डीएनए नाबालिक के मुंहबोले भाई रामवीर से मैच हो गया. इससे साफ हो गया कि पीड़िता ने अपने मुंहभोले भाई रामवीर के साथ फिजिकल रिलेशन बनाए थे. वहीं, सीबीआई ने अपनी जांच में पीड़िता को नाबालिग बताने वाले दस्तावेजों को भी खारिज कर दिया है. इस केस में विशेष न्यायालय (एसटी/ एससी) ने पीड़ित की जन्मतिथि 7 मार्च 2002 मानी है. वहीं, घटना की एफआईआर 31 जनवरी 2021 को दर्ज कराई गई, लिहाजा घटना वाले दिन पीड़िता पूरी तरह से बालिग थी.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved