उज्जैन। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक 187 दिनों में शिप्रा नदी में स्नान के लिए आए 15 लोग डूब गए और उनकी जान चली गई। हालांकि कई मौतों के बाद रामघाट पर रैलिंग और संकेतक लगाए गए। इधर अगले हफ्ते से सावन का महीना शुरु हो रहा है और महाकाल दर्शन और शिप्रा स्नान के लिए आने वाले लोगों की तादाद और बढ़ेगी। ऐसे में घाटों पर सुरक्षा और कड़ी करनी होगी। पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष 1 जनवरी से लेकर 7 जुलाई तक कुल 187 दिन की अवधि में शिप्रा नदी में स्नान करने पहुँचे 15 श्रद्धालुओं की डूबने से मौत हो गई। एक माह पहले तो लगातार एक के बाद एक नृसिंहघाट से लेकर रामघाट तक के ऐरिया में बाहर से आए श्रद्धालु गहरे पानी का शिकार हुए थे। इसके पहले भी लगातार नदी में डूबने से लोगों की मौत होती रही। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि नृसिंहघाट क्षेत्र में नदी का पानी लगभग 45 फीट गहरा है। रामघाट पर भी सीढिय़ों के बाद अचानक नदी का लेवल 15 से 30 फीट तक हो जाता है। ऐसे में इन घाटों पर बाहर से आए श्रद्धालु जब तक घाट की सीढ़ी तथा इसके कुछ आगे तक स्नान करते हैं तो सुरक्षित रहते हैं लेकिन थोड़ा आगे जाने पर अचानक गहराई बढऩे से वे डूब जाते हैं।
पिछले महीने एक सप्ताह के अंतराल में लगातार इन घाटों पर 3 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद कलेक्टर और एसपी ने इन दुर्घटनाओं को गंभीरता से लिया था। सुरक्षा के लिए रामघाट क्षेत्र में घाट के समीप नदी में रैलिंग लगाई गई थी। इसके पहले रस्सियाँ भी बाँधी गई थी लेकिन दुर्घटनाएँ थम नहीं रही थी। रैलिंग के अलावा रामघाट क्षेत्र में पुलिस ने अनाउंसमेंट की व्यवस्था भी शुरु कर दी थी। इसके अतिरिक्त तैराक दल के सदस्यों को भी निगरानी के लिए लगाया गया था। साथ ही होम गार्ड के जवानों को जीवन रक्षक नौका के साथ रामघाट में तैनात किया गया था ताकि डूब रहे किसी भी श्रद्धालु को नौका के जरिये तत्काल मदद पहुँचाई जा सके। इधर 14 जुलाई से सावन का महीना शुरु हो रहा है और सावन भादौ मास में महाकाल दर्शन का विशेष महत्व होता है और सवारी भी निकलती है। इस दौरान शहर में रोजाना हजारों श्रद्धालु बाहर से आते हैं और बड़ी संख्या में लोग महाकाल दर्शन से पहले शिप्रा स्नान करने भी जाते हैं। अभी बारिश का दौर शुरु हो गया है और नदी में पानी भी बढ़ गया है। सुरक्षा के लिए लगाई गई रैलिंग और संकेतक भी पानी बढऩे के बाद शिप्रा में नजर नहीं आते। यही कारण है कि घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ानी पड़ेगी।
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