मुंबई। देश में जनवरी से मार्च, 2022 के दौरान 14 नए यूनिकॉर्न बने हैं। इसके साथ ही यूनिकॉर्न की संख्या बढ़कर 84 हो गई। यूनिकॉर्न का मतलब उन कंपनियों से होता है, जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से ज्यादा होता है। इस दौरान स्टार्टअप कंपनियों को 334 सौदे से 76,000 करोड़ का निवेश मिला है।
प्राइस वाटर हाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के मुताबिक, यह लगातार तीसरी तिमाही है, जिनमें घरेलू स्टार्टअप को 76,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश मिला है। ज्यादातर फंडिंग सॉफ्टवेयर ऐज ए सर्विसेस (सास) वाली कंपनियों को मिली हैं, जो 3.5 अरब डॉलर रही। इसमें सबसे ज्यादा 5 यूनिकॉर्न भी बने हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च के दौरान स्टार्टअप के बीच विलय एवं अधिग्रहण के करीब 80 सौदे हुए। इसमें ई-कॉमर्स कंपनियों का हिस्सा 38 फीसदी रहा। डायरेक्ट से कंज्यूमर क्षेत्र वाली कंपनियों का हिस्सा 22 फीसदी रहा। पिछले तीन महीने में 6.5 से 7 अरब डॉलर की रकम उन कंपनियों को मिली, जो वृद्धि वाली चरण में रहीं।
अनिश्चितताओं के बाद भी पैसा जुटाने में सफल
पीडब्ल्यूसी के भारत में प्रमुख अमित नाकवा ने कहा, वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद घरेलू स्टार्टअप पैसा जुटाने में सफल रहे हैं और खासकर यह पैसा उन कंपनियो को मिला है जो अभी वृद्धि वाले चरण में हैं। स्टार्टअप कंपनियों के परिपक्व होने के साथ ही वे अब कॉरपोरेट गवर्नेंस के भी दायरे में आ गए हैं।
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