नई दिल्ली (New Delhi)। विपक्ष शासित केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अब तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर दस्तखत नहीं किए हैं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन को अनिवार्य करता है और जिसके तहत अगले तीन वर्षों में 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन होना है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य संचालित केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है, जिसका नाम प्रधान मंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) है।
MoU के मुताबिक PM-USHA योजना में केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 का फंडिंग विभाजन है। राज्यों का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत लाई गई इस योजना के लिए उन्हें केंद्र ने कोई अतिरिक्त धन उपलब्ध नहीं कराया है, ऐसे में वह योजना में 40 फीसदी धन की हिस्सेदारी करने में असमर्थ है।
बता दें कि प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान राज्य विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की योजना का नया नाम है। इसके तहत- पाठ्यक्रम और कार्यक्रम में बदलाव, शिक्षक प्रशिक्षण, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे, मान्यता और रोजगार क्षमता में वृद्धि के माध्यम से – समानता, पहुंच और समावेशन सुनिश्चित करते हुए 2023-24 से 2025-26 के बीच तीन साल में ₹12,926.10 करोड़ रुपये खर्च किए जाने है।
यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य 300 से अधिक राज्य विश्वविद्यालयों और उससे संबद्ध कॉलेजों के साथ काम करना है। 2013 में लॉन्च किए गए, इस कार्यक्रम का नाम राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) था, जिसे 2023 में बदलकर प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) कर दिया गया है। इसका उद्देश्य पात्र राज्य उच्च शिक्षण संस्थानों को रणनीतिक फंडिंग प्रदान करना है। योजना का नाम बदलने के साथ ही हाल ही में योजना की नई गाइडलाइंस भी जारी की गई है, जिसके तहत केंद्र योजना का 60 फीसदी और राज्य 40 फीसदी खर्च वहन करेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार जो PM-USHA के राष्ट्रीय मिशन प्राधिकरण के सह-उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि इस योजना में विभिन्न राज्यों और यहां तक कि विभिन्न जिलों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा, “आज की तारीख तक, 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और शेष 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मतभेदों को दूर करने और एनईपी और पीएम-यूएसएचए के महत्व को बताने के लिए के लिए चर्चा जारी है।
नई शिक्षा नीति के तहत पीएम-उषा योजना दूरदराज के क्षेत्रों, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों और कम जीईआर वाले क्षेत्रों तक पहुंच बनाने में कारगर हो सकती है। यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसके जरिए लिंग समावेशन, समानता की पहल, आईसीटी, कौशल उन्नयन के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी रोजगार क्षमता बढ़ाने की पहल को समर्थन दिया जाना प्रस्तावित है।
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