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    14 लोगों के नाम हो गई 22 एकड़ सरकारी जमीन

  • January 30, 2021


    कलेक्टर के निर्देश पर जांच शुरू,  सनावदिया, बिहाडिय़ा से लेकर जामनियाखुर्द में अवैध कालोनियां बनीं
    इंदौर। पट्टे से लेकर सरकारी व कांकड़ की जमीनों पर पिछले दिनों अवैध कालोनियों को काटने की खबर अग्निबाण ने भी प्रकाशित की थी, जिस पर कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए और पता चला कि सनावदिया, बिहाडिय़ा में ही लगभग 22 एकड़ सरकारी जमीन 14 लोगों के नाम पर हो गई। अब इन जमीनों को वापस सरकारी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। वहीं जो अवैध निर्माण हुए हैं उन्हें भी जमींदोज किया जाएगा। भूमाफियाओं ने सरकारी जमीनों के अलावा खेतों में भी सीधे भूखंड काटकर नोटरी के जरिए बेच डाले हैं। कुछ जमीनों पर मकान से लेकर व्यवसायिक निर्माण भी हो चुके हैं। अब प्रशासन इस पूरे जमीन घोटाले की जांच करवा रहा है और पट्टों को भी निरस्त किया जाएगा और कब्जेदारों को नोटिस थमाए जा रहे हैं।


    शहर में जहां मिलावटखोर, ड्रग माफिया, गुंडों के मकानों को लगातार तोड़ा जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहे हैं। शिव पैलेस में भी 30 फीट रास्ते की जमीन कालोनाइजर ने बेच डाली, जिसकी भी शिकायत रहवासियों ने की है। लगभग 60 लोगों को भूखंड बेच दिए और 30 फीट की जमीन को 20 फीट की कर दी और शेष जमीन पर भूखंड काट दिए। इसी तरह एक शिकायत खंडवा रोड के श्रीकृष्ण एवैन्यू से लगी जमीन से संबंधित भी शिकायत मिली है, जिसमें एक भाजपा के नेता पर ही अवैध कालोनी काटने की शिकायत सामने आई और सीएम हेल्पलाइन में भी इसकी शिकायत की है। पिछले दिनों नगर निगम की टीम ने भी जाकर मौका-मुआयना किया था और प्रशासन को भी जनसुनवाई में इसकी शिकायत की गई है। दूसरी तरफ सनावदिया, बिहाडिय़ा, जामनियाखुर्द में सरकारी जमीनों की अफरा-तफरी के मामले सामने आए, जिस पर कलेक्टर मनीष सिंह ने जांच शुरू करवाई है। पट्टे की जमीन ही बिक गई। अपर कलेक्टर पवन जैन इस पूरे मामले की जांच करवा रहे हैं। उनका कहना है कि सनावदिया की जमीन को सरकारी घोषित कर जितने भी निर्माण हैं उन्हें ध्वस्त करवाया जाएगा। पट्टेदारों के साथ कब्जेदारों को भी नोटिस जारी किए जा रहे हैं। लगभग 22 एकड़ सरकारी जमीन निजी होने की जानकारी सामने आई है। 1976-77 तक राजस्व रिकार्ड में यह जमीन सरकारी ही थी, लेकिन उसके बाद 14 लोगों के नाम चढ़ गई और इन दर्ज नामों को सरकारी पट्टेदार लिख दिया गया। बाद में यह शब्द भी राजस्व अमले की मिलीभगत से हट गया। पंचायतों से मनमानी अनुमति लेकर निर्माण कार्य भी शुरू हो गए और कई अवैध कालोनियां बन गई। एक निजी स्कूल की भी जानकारी सामने आई है। श्री जैन के मुताबिक तहसीलदार, पटवारी को जांच कर इस पूरे मामले की रिपोर्ट देने को कहा गया है।


    अभी बीते दो-तीन दिनों से पटवारी और राजस्व निरीक्षकों की टीम ने मौके पर जाकर जमीनों की नपती और जांच की है। इसमें सर्वे नं. 670 पर शासन ने पूर्व में पट्टे जारी किए थे, जो बाद में रसूखदारों-भूमाफियाओं ने अपने नाम करवा लिए। इसी तरह 670/2, 670/3 पर भी अवैध कालोनी कट रही है। 20 से 22 एकड़ सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द कर 14 निजी लोगों के नाम हो गई, उन्हें उसे निरस्त करवाकर फिर से राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी घोषित किया जाएगा। इस मामले में राजस्व अमला भी लापरवाह बना रहा और सालों तक सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त होती रही और पिछले दिनों शिकायत सामने आने पर कलेक्टर ने अब जांच शुरू करवाई है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में भी पट्टों की जमीनों का एक बड़ा मामला भी विचाराधीन है, उसमें अगर प्रशासन को जीत मिलती है तो लगभग एक हजार करोड़ रुपए की जमीनें हासिल होगी। कलेक्टर का कहना है कि अवैध कालोनी काटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां पर भी सरकारी जमीनों की अफरा-तफरी की शिकायत मिले उस पर तुरंत कार्रवाई की जाए, जिसके चलते सनावदिया, बिहाडिय़ा की जमीनों का यह घोटाला उजागर हुआ है।

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