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    नर्सिंग फर्जीवाड़े में 14 कॉलेजों पर गिरी गाज, 600 छात्रों का भविष्य भी संकट में

  • May 09, 2023

    जबलपुर: हाई कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में बड़ी कार्रवाई की है. यूनिवर्सिटी ने प्रदेश भर के 14 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करते हुए 602 छात्रों का इनरोलमेंट स्थगित कर दिया है. यह मामला सत्र 2020-21 की संबद्धता और इसी सत्र में एडमिशन लेने वाले छात्रों से जुड़ा है.

    मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जिन 14 कॉलेजों की संबद्धता स्थगित की है, उनमें ग्वालियर के 9, भिंड के 4 और श्योपुर का 1 कॉलेज शामिल है. इनके खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है. यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद की बैठक में इन कालेजों में एडमिशन लेने वाले बीएससी नर्सिंग के 508, पोस्ट बेसिक नर्सिंग के 60 और एमएससी नर्सिंग के 34 के छात्रों का इनरोलमेंट (Enrollment) भी स्थगित कर दिया है.

    नर्सिंग फर्जीवाड़े के तहत कई कॉलेजों की सीबीआई जांच
    मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर के रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल के मुताबिक मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) ने सत्र 2021-22 के 70 कॉलेजों की मान्यता रद्द की थी. इन्हीं में से 14 कॉलेजों की संबद्धता स्थगित की गई है. फिलहाल, नर्सिंग फर्जीवाड़े के तहत कई कॉलेजों की सीबीआई जांच चल रही है. इसलिए जब तक ये जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक संबद्धता और एनरोलमेंट स्थगित रहेंगे.ये छात्र परीक्षा में भी शामिल नहीं हो पाएंगे.


    कार्यपरिषद की बैठक में तय किया गया है कि नर्सिंग कॉलेजों की सत्र 2021- 22 की डुप्लीकेट फैकल्टी की भी जांच की जाएगी. ये जांच 45 दिन में पूरी होगी. जांच उन्हीं कॉलेजों की होगी, जिनमें सत्र 2020-21 की डुप्लीकेट फैकल्टी की जांच पहले से चल रही है. रजिस्ट्रार बघेल के मुताबिक ऐसे करीब 200 नर्सिंग कॉलेजों की पहचान हुई है. यूनिवर्सिटी को नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों को सत्र 2021-22 को संबद्धता जारी करनी है,इसलिए पहले डुप्लीकेट फैकल्टी की जांच करने का निर्णय लिया गया है.

    परीक्षा पर रोक बरकरार
    वहीं,सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश में नर्सिंग परीक्षा पर लगी रोक हटाने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. एमपी हाई कोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगा रखी. सुप्रीम कोर्ट में ग्वालियर हाईकोर्ट की रोक के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने आदेश पर स्टे की अपील की थी.

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