इंदौर। कोरोना का इलाज उपलब्ध दवाओं के साथ-साथ प्लाज्मा थैरेपी से भी किया जा रहा है। इंदौर में दो बैंक चल रहे हैं, जिसमें लगातार कोविड से ठीक हुए डोनर अपना प्लाज्मा उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसके चलते 136 मरीजों का इस थैरेपी से इलाज हुआ और वे स्वस्थ होकर घर भी चले गए।
ट्रांसफ्यूजन मेडिसीन विभाग के डॉ. अशोक यादव के मुताबिक प्लाज्मा एकत्रित करने की प्रक्रिया काफी सुरक्षित है और डोनेट करने से भी किसी तरह की हानि नहीं है। 15 दिन बाद डोनर फिर से प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। अभी मशीन के द्वारा ही प्लाज्मा एकत्रित किया जा रहा है। इंदौर में अरविन्दो एमसी ब्लड बैंक और एमजीएम मेडिकल कॉलेज बैंक इसके लिए अधिकृत है। एमजीएम कॉलेज की मॉडल ब्लड बैंक में अभी तक 32 यूनिट प्लाज्मा एकत्रित किया, जिसमें से 24 यूनिट का इस्तेमाल उपचार में किया जा रहा है। आधुनिक चार एफेरेसिस मशीनें उपलब्ध है और डिपफ्रीचर, टेस्टिंग के साथ अन्य सुविधाएं भी है। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के मुताबिक अरविन्दो एमसी ब्लड बैंक द्वारा ही अभी तक 136 कोरोना मरीजों का प्लाज्मा थैरेपी से सफल उपचार किया जा चुका है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. ज्योति बिन्दल के मुताबिक महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय यानी एमवाय में स्थित मॉडल ब्लड सेंटर में भारत सरकार व खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मानकों के अनुरूप ही प्लाज्मा डोनेशन की सुविधा उपलब्ध है और कोविड के गंभीर मरीजों को नि:शुल्क उपचार के लिए इसे उपलब्ध करवाया जा रहा है और सभी ठीक हुए लोगों से भी लगातार अनुरोध किया जाता है कि वे आगे बढ़कर प्लाज्मा डोनेट करें, ताकि अन्य मरीजों को भी लाभ मिल सके। अभी कोरोना की कोई कारगर दवाई और वैक्सीन तो है नहीं, लिहाजा विभिन्न उपचारों में से कन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी को भी एक कारगर इलाज माना गया है। दिल्ली सहित मुंबई में भी इसका सफल प्रयोग कोरोना मरीजों पर हुआ और गंभीर मरीजों में इसके अच्छे परिणाम मिले हैं, जिसके चलते इंदौर में भी दो प्लाज्मा बैंकों के जरिए डोनरों से प्लाज्मा लेकर मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्लाज्मा डोनर और मरीज का रक्त समूह समान होना आवश्यक है।
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