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इंदौर में 20 दिनों में ही 1306 चिताएं जलीं

  • September 22, 2020


    – पंचकुइया में 322 तो रीजनल पार्क में 214 चिताएं जलीं
    – मालवा मिल 153 तो रामबाग मुक्तिधाम 162 चिताओं के साथ धधका
    इंदौर। ऐसा लगता है मानो शहर की स्थिति पूरे देश में सबसे ज्यादा भयावह है। इंदौर के 9 मुक्तिधामों से ही प्राप्त आंकड़ों के अनुसार शहर में 1 से लेकर 20 सितम्बर तक के केवल 20 दिनों में ही 1306 चिताएं जलीं। यानी हर दिन औसतन 65 लोगों ने दम तोड़ा, जबकि सामान्य दिनों में हर दिन मरने वालों का आंकड़ा 20 से 30 रहता था। इस भयानक परिस्थिति को झेलने वाला शहर एक साथ दो दुविधाओं से गुजर रहा है। एक ओर तो कोरोना का कहर लोगों की जान लेने पर तुला हुआ है, वहीं दूसरी ओर कोरोना के चलते दूसरी बीमारियों के इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। शहर के सारे अस्पताल कोरोना से कमाई में लगे हैं। इन अस्पतालों में न तो कोरोना की चिकित्सा का अनुभव है और न ही चिकित्सक। कोरोना मरीजों के परिजनों से लाखों रुपए वसूलते इन्हीं अस्पतालों से हर दिन शवों का तांता निकल रहा है। कोई भी अस्पताल दूसरी बीमारियों का इलाज करने को तैयार नहीं है, जिसके कारण मौतों का आंकड़ा इस हद तक आ पहुंचा है।
    देश के साथ ही शहर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतों से लोग घबराए हुए हैं। वहीं उससे ज्यादा घबराहट वाली स्थिति यह है कि कोरोना की मौतों के साथ-साथ ज्यादा दूसरी बीमारियों के चलते इलाज के अभाव मेें लोग परलोक सिधार रहे हैं। आलम यह है कि 20 दिनों में ही शहर में 1306 चिताएं जल चुकी हैं, वहीं शमशान में भी पहले आओ-पहले पाओ वाली स्थिति है। पश्चिम क्षेत्र स्थित पंचकुइया मुक्तिधाम पर शवों के अंतिम संस्कार का इतना दबाव पडऩे लगा है कि कई दफा तो श्मशान के कर्मचारियों को मुक्तिधाम में जगह खाली नहीं होने के कारण शवों को अन्य मुक्तिधामों को लिए भेजना पड़ा है। सितम्बर के मात्र 20 दिनों में शहर के 4 श्मशान घाटों में ही 851 चिताएं जलीं। पंचकुइया मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार का आंकड़ा 322 पर पहुंच गया, वहीं मालवा मिल मुक्तिधाम में भी इसी अवधि में 153 लोगों की चिताएं जलीं। इसके अलावा रामबाग मुक्तिधाम मेें 162 तो रीजनल पार्क में 214 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। इन मौतों के अलावा इस अवधि में कब्रिस्तान में भी सैकड़ों लोगों को दफनाया गया है।


    पंचकुइया में सर्वाधिक चिताएं जलीं
    शहर में लोग कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर व्यथित और घबराए हुए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इससे ज्यादा मौतें अन्य बीमारियों में इलाज के अभाव में हो रही है। पंचकुइया मुक्तिधाम पर व्यवस्थाओं की देखरेख करने वाले ने बताया कि सितम्बर में 1 से 20 तारीख तक मात्र 20 दिनों में कुल 322 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ, जिनमें मात्र 36 शव कोरोना संक्रमितों के थे। कर्मचारियों के अनुसार वैसे तो पश्चिम क्षेत्र में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में एकमात्र श्मशान घाट होने के कारण यहां प्रतिदिन 8 से 10 अंतिम संस्कार आम दिनों में होते रहते हैं, मगर वर्तमान में यह आंकड़ा कई बार 20 के पार भी पहुंच चुका है। कई बार मुक्तिधाम में जगह नहीं होने के चलते शवों को श्मशान से लौटाना भी पड़ा है। इस मुक्तिधाम में 1 सितम्बर को 12, 2 को 18, 3 को 24, 4 को 17, 5 को 15, 6 को 10, 7 को 17, 8 को 15, 9 को 21, 10 को 13, 11 को 17, 12 को 16, 13 को 13, 14 को 21, 15 को 17, 16 को 13, 17 को 23, 18 को 17, 19 को 12 और 20 सितम्बर को 11 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ।


    वसीयत में लिखवाया…अंतिम संस्कार पंचकुइया मुक्तिधाम में ही करना
    शहर के सबसे पहले सर्वसुविधायुक्त मुक्तिधाम के बारे में रोचक जानकारी देते हुए गोपाल बोरीवाल ने बताया कि भमोरी में रहने वाला एक व्यक्ति अपने किसी रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में पंचकुइया मुक्तिधाम आया था। उस व्यक्ति को मुक्तिधाम की साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाएं इतनी पसंद आईं कि उसने अपने पुत्रों को बनाई गई वसीयत में लिखवाया कि मेरी मौत के बाद अंतिम संस्कार पंचकुइया में ही करना। उक्त बात बेटे ने तब बताई थी, जब उसे श्मशान कर्मचारियों ने कहा कि आपके उधर भी दो-दो श्मशान हैं, फिर यहां क्यों लाए अंतिम संस्कार के लिए।
    मालवा मिल में भी 153 अंतिम संस्कार
    मिल क्षेत्र में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मौजूद मालवा मिल मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार का आंकड़ा भी बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है। मालवा मिल मुक्तिधाम की देखरेख करने वालों ने अग्निबाण को जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य दिनों में यहां अंतिम संस्कार के लिए प्रतिदिन 4 से 5 शव आते हैं, मगर 1 सितम्बर से यह आंकड़ा बढ़ गया है। यहां पर 1 सितम्बर को 6, 2 को 8, 3 को 9, 4 को 3, 5 को 4, 6 को 8, 7 को 12, 8 को 8, 9 को 7, 10 को 9, 11 को 7, 12 को 11, 13 को 9, 12 को 12, 15 को 7, 16 को 5, 17 को 11, 18 को 7, 19 को 5 और 20 सितम्बर को 5 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। सितम्बर में हुए अंतिम संस्कारों में यहां 11 शव कोरोना संक्रमितों के थे। श्मशान की देखरेख करने वालों ने बताया कि यहां एमटीएच अस्पताल सहित अन्य अस्पताल से आने वाले शवों के परिजन सही जानकारी दर्ज नहीं करवाते, जिसके चलते पता नहीं चलता कि उक्त व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई है या अन्य बीमारी से, क्योंकि यहां अधिकतर लोग निमोनिया और सर्दी-खांसी का जिक्र ज्यादा कर रहे हैं।
    केवल 5 प्रतिशत सामान्य मौतें
    पंचकुइया मुक्तिधाम में सितम्बर के 20 दिनों में हुए 322 अंतिम संस्कार में कोरोना से मरने वाले मात्र 36 लोग थे, बाकी 286 अंतिम संस्कारों में मरने वालों में घबराहट, आत्महत्या, दुर्घटना, ब्रेन हेमरेज, किडनी फेल, लिवर फेल के साथ ही सबसे ज्यादा हार्ट अटैक, शुगर और बीपी बढऩे और निमोनिया से पीडि़त थे। वहीं इनमें सामान्य मौत से मरने वालों के लगभग 5 प्रतिशत मामले ही होंंगे।
    1 से 20 सितंबर तक किस श्मशान में कितने अंतिम संस्कार
    पंचकुइया मुक्तिधाम              322
    मालवा मिल मुक्तिधाम          153
    जूनी इंदौर मुक्तिधाम              94
    तिलक नगर मुक्तिधाम           75
    तीन इमली मुक्तिधाम             28
    रीजनल पार्क मुक्तिधाम        214
    रामबाग मुक्तिधाम               162
    बाणगंगा मुक्तिधाम               91
    मेघदूत (सयाजी) मुक्तिधाम  167

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