नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प और विपक्ष के चेहरे के तौर पर खुद को पेश कर रहे तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव के सपने को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, देश में बिगड़ रही सांप्रदायिक स्थिति पर शनिवार को 13 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया था। इस साझा बयान में केसीआर को शामिल नहीं किया गया।
जबकि, केसीआर समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ आने का आह्वान कर रहे हैं। ऐसे में उनकी राष्ट्रीय राजनीति की महात्वाकांक्षाओं पर पानी फिर गया है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संरक्षक शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित 13 विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने संयुक्त बयान जारी किया था। इसमें तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के अलावा तेलुगु देशम पार्टी व जनता दल (सेक्युलर) को भी शामिल नहीं किया गया।
विपक्षी एकता में फिर से फूट
तीन दलों को छोड़कर 13 विपक्षी पार्टियों का एकसाथ आना फिर से विपक्षी एकता में फूट के रूप में देखा जा रहा है। 2024 के आम चुनाव से केसीआर को अलग-थलग करने के भी संकेत मिल रहे हैं। जबकि, पूर्व में केसीआर ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए तीसरा मोर्चा बनाने के लिए एक साथ आने का भी आह्वान किया था। इसके तहत उन्होंने भाजपा विरोधी दलों को एकसाथ लाने के लिए कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। फरवरी में वह महाराष्ट्र यात्रा पर भी गए थे, जहां उन्होंने उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात की थी।
आगे बढ़कर किया भाजपा का मुकाबला
खुद को विपक्ष का बड़ा चेहरा साबित करने के लिए केसीआर ने न केवल अपने राज्य बल्कि दूसरे राज्यों में भी दखल शुरू कर दी। इतना ही नहीं वह हाल ही में पूर्व पीएम राजीव गांधी के खिलाफ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की कथित अपमानजनक टिप्पणी पर भी मुखर हुए थे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन किया था।
कांग्रेस के बिना संभव नहीं तीसरा मोर्चा
कांग्रेस के दिन बुरे चल रहे हैं। वह लगातार चुनाव हार रही है। इसके बावजूद कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि, विपक्ष में कांग्रेस ही बड़ा चेहरा हो सकती है। हाल ही में राकांपा प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, कांग्रेस को शामिल किए बिना कोई तीसरा मोर्चा संभव नहीं है।
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