उज्जैन। प्रदेश सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही है। इसके विपरित उज्जैन जिले के अंतर्गत 13 स्कूलों का भवन निर्माण शिक्षा विभाग ने नहीं कराया है। इसके चलते कई सालों से यह स्कूल अन्य सरकारी विद्यालयों, पंचायतों व सामुदायिक भवनों में संचालित किए जा रहे है। कई भवनों में बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि जिले में कुल 1583 सरकारी विद्यालय है। इसमें 205 हाई स्कूल, 630 माध्यमिक और शेष प्राथमिक विद्यालय है। इन विद्यालयों में 13 विद्यालय ऐसे हैं जिनके पास खुद का भवन नहीं है तथा भवन निर्माण के लिए बजट प्राप्त न होने के कारण पंचायतों, सामुदायिक भवनों और अन्य सरकारी विद्यालयों में चलाए जा रहे हैं। कई स्कूल तो जर्जर भवनों में ही संचालित हो रहे हैं जिनकी मरम्मत की भी दरकार बनी हुई है।
481 स्कूलों को मरम्मत का इंतजार
जिले में वर्तमान में 1583 सरकारी स्कूल चल रहे हैं जिसमें से 481 सरकारी स्कूल जर्जर हालत में चल रहे हैं। इन स्कूलों की कक्षाओं के साथ छत, दीवारें भी जर्जर हालत में हैं। बारिश के दौरान दीवारों और छत से प्लास्टर भी गिर जाता है। शिक्षा विभाग ने जिले के इन 481 मरम्मत योग्य स्कूलों के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है। विभाग की ओर से मरम्मत के लिए करीब 60 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही स्कूलों की मरम्मत करा दी जाएगी।
इनका कहना है : जिले में 13 शासकीय स्कूल भवन विहिन है। यह ऐसे विद्यालय हैं जिनकी कक्षाएँ अन्य सरकारी विद्यालयों और भवनों में लगाई जा रही है।
संदीप जैन, मुख्य अभियंता जिला शिक्षा केंद्र उज्जैन
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