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    13 दिन का बचा चुनाव, टिकट बांटने और बागियों को मनाने में ही निकल गया समय

  • June 22, 2022

    आज दोपहर 3 बजे तक स्पष्ट होगी तस्वीर, कितने लोगों ने लिए नाम वापस, कुछ ने इस्तीफे तक दे डाले, निष्कासन की तलवार भी दलों ने लटकाई

    इंदौर। इस बार पंचायत (Panchayat) और निगम (Nigam) के चुनाव अचानक से टपके, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने स्पष्ट आदेश दे दिए थे, जिसके चलते शासन के पास भी चुनाव टालने का कोई विकल्प नहीं बचा। यही कारण है कि ताबड़तोड़ हुई चुनाव की घोषणा के चलते उम्मीदवारों के चयन में भी समय लग गया। कांग्रेस ने तो अपना महापौर प्रत्याशी डेढ़-दो साल पहले ही तय कर दिया था, मगर भाजपा में रस्साकसी चली और जैसे-तेसे महापौर प्रत्याशी तो तय किया गया, मगर पार्षदों के मामले में बागियों को मनाने में दिग्गजों के भी पसीने छूट गए। अब आज दोपहर 3 बजे तक नाम वापसी होना है, उसके बाद ही तस्वीर साफ होगी कि कितने घोषित और कितने बागी प्रत्याशी मैदान में बचे हैं।


    कांग्रेस और भाजपा ने बागियों को निष्कासन की चेतावनी भी दे डाली है। भाजपा अध्यक्ष ने तो कल ही स्पष्ट कर दिया कि पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशियों के अलावा अगर कोई चुनाव लड़ता है तो उसका निष्कासन 6 साल के लिए कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ कई बागी ऐसे हैं जो चुनाव मैदान में डटे रहना चाहते हैं। हालांकि कल 32 पार्षद उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस भी ले लिए। वहीं कुछ उम्मीदवार डटे हैं। इसी तरह वार्ड क्र. 64 के पूर्व भाजपा पार्षद किशोर मीणा ने भी नामांकन फार्म जमा किया है। हालांकि पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी नहीं बनाया, जिसके चलते कल उन्होंने शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को पत्र लिखते हुए भाजपा की सदस्यता से अपना इस्तीफा भी दे डाला। अपने पत्र में श्री मीणा ने कहा कि भाजपा के पूर्व पार्षद और सदस्य होने के नाते उन्होंने कई काम भी करवाए। मगर पिछले 15 सालों से कोई दायित्व पार्टी ने नहीं दिया। लिहाजा मैं सदस्यता से त्याग-पत्र दे रहा हूं। आज दोपहर 3 बजे तक तय होगा कि वे चुनाव मैदान में रहेंगे या अपना नामांकन वापस लेंगे। यही स्थिति कुछ अन्य बागियों की भी है। 6 जुलाई को मतदान होना है। यानी मात्र 13 दिन ही अब चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए उम्मीदवारों के पास बचे हैं। कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला तो बीते डेढ़-दो सालों से प्रचार-प्रसार में जुटे रहे और यही कारण है कि वे भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले प्रचार-प्रसार में तो आगे हैं, मगर भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के पास सत्ता, संगठन, संघ की ताकत है और चूंकि इंदौर में 20 सालों से भाजपा की ही परिषद् रही और अधिकांश पार्षद भी भाजपा के जीतते आए, जिसका फायदा श्री भार्गव को मिलेगा और अब उनका भी चुनाव प्रचार धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। विधानसभावार उनका जनसम्पर्क शुरू हो गया है। वहीं सबसे ज्यादा मुसीबत 85 वार्ड पार्षदों का चुनाव लडऩे वालों की है, क्योंकि उनके पास भी समय कम बचा है। कई वार्डों में अभी भी बागी मैदान में डटे हैं, जिसके चलते पार्टी से ज्यादा घोषित प्रत्याशी इन बागियों की मान-मनोव्वल में जुटे हैं और अपना खुद का ही प्रचार-प्रसार नहीं कर पा रहे हैं। अब देखना यह है कि आज दोपहर 3 बजे तक कितने बागी मैदान में बचते हैं और इसकी तस्वीर साफ होने के बाद ही प्रचार-प्रसार को कल से गति मिलेगी और उसी आधार पर चुनावी रणनीति भी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा बनाई जाएगी। इस बार चुनाव-प्रसार में एक बड़ी रूकावट बारिश को लेकर भी है, क्योंकि अब मानसून का आगमन हो गया है और सभी उम्मीदवारों को इससे भी निपटना पड़ेगा।

     

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