इन्दौर, प्रदीप मिश्रा। साल दर साल इंदौर जिले का वन्य क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है और जंगल घटते जा रहे हैं। वन विभाग की जमीन पर जंगल की जगह सरकारी परियोजनाओं से सम्बंधित विकास कार्य लगातार जारी है। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार पिछले 5 सालों में लगभग 1200 हेक्टेयर से ज्यादा वन्य क्षेत्र में जंगल घट चुके हैं और यह सिलसिला आज भी जारी है। वन विभाग के पास यह रिकॉर्ड तो है कि किस विभाग को कितनी जमीन दी, मगर हर साल लकड़ी माफियाओं ने पेड़ काटकर कितने जंगल साफ कर दिए इसका कोई रिकार्ड नहीं है।
जहां नेशनल हाईवे, रेलवे, उद्योग, एयरपोर्ट, आईआईटी कॉलेज, मेट्रो ट्रेन डिपो, चोरल-बेरछा फ़ायरिंग रेंज, पीडब्ल्यूडी, विद्युत वितरण कम्पनी की पावर ग्रिड, नर्मदा-गम्भीर लिंक परियोजना, इंडस्ट्री क्लस्टर सम्बन्धित सरकारी विकास कार्यों के चलते जंगल लगातार घटे हैं तो वहीं वन्य क्षेत्र में अवैध कब्जों और लकड़ी माफियाओं के कारण भी जंगलों का नुकसान जारी है। वैसे तो वन विभाग कई विभागों को वन्य भूमि आवंटित कर चुका है। कुछ विभागों के लिए भूमि आवंटन के प्रस्ताव लंबित हैं, जिसमें जिला उद्योग व्यापार केंद्र और एमपीआईडीसी शामिल हैं।
नया जंगल बनाने में 15 साल लगेंगे
इंदौर वन विभाग के अनुसार उन्होंने भारत सरकार, मध्यप्रदेश सरकार, जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर वन्य क्षेत्र की जितनी भूमि आवंटित की है, इसके बदले में वन विभाग को काटे गए पेड़ो की मुआवजा राशि के अलावा दूसरी जगहों पर जंगल बनाने के लिए बंजर और पथरीली जमीनें मिली हैं। यहां पर जंगल बनाने में लगभग 10 से 15 साल लगेंगे।
जिले में 710 वर्ग किलोमीटर में है जंगल
इंदौर वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार इंदौर जिले का कुल क्षेत्रफल 3898 वर्ग किलोमीटर है। इसमे से 710 वर्ग किलोमीटर में वन भूमि और जंगल है। इसी में से लगभग 1200 हेक्टेयर जमीन सरकारी विभागों दी गई है।
पेड़ों का सफाया कर हो रही है अवैध खेती
लगभग 1200 हेक्टेयर जमीन वन विभाग ने जहां सरकारी प्रोजेक्ट के लिए दी है, वहीं जंगल में सैकड़ों जगह अवैध कब्जे भी हैं। लकड़ी माफिया के साथ मिलकर पेड़ों का सफाया कर जंगल की जमीन पर खेती की जा रही है। वन विभाग के अनुसार पिछले 5 सालों 679.880 हेक्टेयर जमीन पर 850 से ज्यादा अवैध कब्जे हो चुके हैं। वन विभाग की तमाम कोशिशों के बाद कब्जे हटाने में वन विभाग नाकाम रहा है। उधर कब्जे करने वालों को सरकार वोट बैंक के लिए कब्जे की जमीन सरकारी पट्टे दे देगी।
विगत सालों में सरकारी परियोजनाओं से सम्बंधित विकास कार्यों के लिये सरकार और प्रशासन की अनुशंसा पर लगभग 1200 हेक्टेयर जमीन देने की वजह से वन्य भूमि पर मौजूद जंगल घटे हैं। दूसरी जगह इतना बड़ा जंगल तैयार करने में 10 से 15 साल लगेंगे
-नरेंद्र पंडवा, डीएफओ, वन विभाग इंदौर
इन योजनाओं के कारण घटा वन्य क्षेत्र
जंगल की जमीन पर फर्नीचर क्लस्टर से एयरपोर्ट पार्किंग और आईआईटी पार्क तक
257 हेक्टे. चोरल रेंज………………….इंडियन रेलवे
30.178 हेक्टे. बिजासन……………….मेट्रो रेल डिपो
60 हेक्टे. चोरल रेंज………………….नेशनल हाईवे
36.726 हेक्टे. ……………………. सरकारी तालाब
07.884 हेक्टे. बिजासन……………एयरपोर्ट पार्किंग
150 हेक्टे. बेटमा खुर्द………………फर्नीचरक्लस्टर
150 हेक्टे. मोरोद…………………. कृषि उपज मंडी
438 हेक्टे…………………………..एमपीआईडीसी
80 हेक्टे. सिमरोल…………………….आईआईटी
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