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    1200 का डीएपी अब 1350 रुपए में मिलेगा

  • April 19, 2022

    • खरीफ की तैयारी में जुटे किसानों को लगेगा झटका

    भोपाल। प्रदेश में रबी फसल की कटाई समाप्ति पर है। इसी के साथ ही अब खरीफ की तैयारी में कृषि विभाग जुट गया है। इधर किसानों को भी खरीफ की तैयारी करना है। इसके लिए खाद-बीज की व्यवस्थाएं प्राइवेट एवं शासकीय तौर पर तेजी से जारी है। खासकर खाद को लेकर अग्रिम तैयारी में विभाग जुटा हुआ है। प्राइवेट दुकानों को भी पर्याप्त खाद उपलब्ध कराया जा चुका लेकिन इस बार डीएपी व 12.32.16 किसानों को महंगी पडऩे जा रही है। जानकारी के अनुसार डीएपी पिछले साल तक 1200 में मिल रहा था, जो इस साल 1350 में दिया जाएगा। जबकि 12.32.16 की कीमत 1340 थी जो इस बार 1470 रुपए में मिलेगा। इसके अलावा यूरिया भी खरीफ की फसल में उपयोग होता है तो इसके दामों में भी वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।



    किसान लगातार मौसम की मार झेल रहे हैं और कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि से परेशान है। इस बीच खाद के बढ़ते दामों ने उन्हें और भी रुलाना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहती आई लेकिन डीजल, मजदूरी और अब खाद के दाम बढ़ाकर किसानों से खेती की दूरियां बढ़ाई जा रही है। कृषि संबंधी उपयोगी वस्तुओं की कीमतें इसी तरह बढ़ाई जाती रही तो किसानों को खेती करना मुश्किल हो जाएगा। सरकार को बढ़ती महंगाई पर नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

    अभी से क1षि विभाग सक्रिय
    मालूम हो कि प्रदेश में खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में सोयाबीन, धान, उड़द आदि की बोवनी किसान करते हैं। इन फसलों में यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट की आवश्यकता किसानों को रहती है। हर वर्ष खाद के लिए किसानों को भारी मशक्कत करना पड़ती है, लेकिन इस बार ऐसी स्थिति न बने इसके लिए प्रशासन व कृषि विभाग पहले से ही किसानों को खाद की व्यवस्था करने के लिए अग्रिम भंडारण कर रहा है। इसके तहत यूरिया एवं डीएपी की रैक लगवाई जा रही और इन्हें डबल लॉक एवं प्राइवेट में दिया जा रहा ताकि किसानो को हर वर्ष की तरह खाद के लिए परेशान न होना पड़े। इसके लिए डीएपी की व्यवस्था की जा चुकी वहीं यूरिया का भी भंडारण किया जा चुका है।

    डीएपी में मूल्यवृद्धि का हर स्तर पर विरोध
    राष्ट्रीय मजदूर महासंघ के लाखन सिंह मीणा का कहना है कि डीएपी की मूल्य वृद्धि का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले से ही सरकार ने पेट्रोल-डीजल में मूल्यवृद्धि कर किसानों को आफत में डाल रखा है और अब किसानों की पहली जरूरत खाद के दाम भी बढ़ा दिए गए। ऐसे में फसल की लागत और अधिक बढ़ जाएगी जबकि महंगाई के अनुपात में किसान की उपज के दाम नहीं बढ़ाए जाते खाद में यह मूल्य वृद्धि वापस ली जाना चाहिए नहीं तो हर स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

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