इंदौर (Indore)। शहर में वारदात कर कई बार बाहरी गिरोह पुलिस की नजर से बचकर निकल जाते थे, लेकिन अब पुलिस ने शहर में 17 ऐसी लोकेशन, जहां से इंट्री और एग्जिट हो सकता है, वहां कैमरे लगा दिए हंै। इन कैमरों ने काम करना भी शुरू कर दिया है। ये नाइट विजन कैमरे हैं और रात में भी आरोपियों को कैद कर लेंगे।
पुलिस शहर में लगातार कैमरों का जाल बिछाने में लगी है। शहर के प्रमुख चौराहों और संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस ने एक हजार के लगभग कैमरे लगा रखे हैं। वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भी कैमरे लगाए जा रहे हंै। इसके अलावा पुलिस अपराधियों को पकडऩे के लिए निजी कैमरों का भी उपयोग करती है। एक अनुमान के अनुसार शहर में पांच हजार से अधिक निजी कैमरे लगे हैं। वहीं पुलिस लगातार कॉलोनियों, सोसाइटी और व्यापारियों की मदद से कैमरे का जाल बिछाने में लगी है, लेकिन यह देखने में आ रहा था कि शहर में इंट्री और एग्जिट के कुछ ऐसे रास्ते हैं, जिनका उपयोग बदमाश वारदात के बाद भागने के लिए करते हैं। प्रमुख रोड पर तो टोल टैक्स नाकों पर लगे कैमरे पुलिस के लिए मददगार साबित होते आ रहे हैं, लेकिन अपराधी पुलिस से बचने के लिए छोटे रास्तों का उपयोग करते हैं। अब इनको भी पुलिस ने चिह्नित कर कैमरे लगा दिए हैं।
यहां लगे हैं नाइट विजन कैमरे काम करना शुरू
शहर में पुलिस ने ऐसी 17 लोकेशन चिह्नित की थीं, जिनमें रालामंडल, राऊ गोल चौराहा, कनाडिय़ा, बेस्ट प्राइज, बायपास, सांवेर रोड, तेजाजी नगर, पीथमपुर रोड, नावदापंथ, गोम्मटगिरि, टीसीएस चौराहा, बुढ़ानिया को चिह्नित किया था, जहां पुलिस मुख्यालय की मदद से हर चौराहे पर कम से कम चार कैमरे लगाए गए हैं। कुल 120 कैमरे लग चुके हैं और एक सप्ताह से कैमरों ने काम करना शुरू कर दिया है। अब कंट्रोल रूम से बैठकर पुलिस आने-जाने वालों की निगरानी कर रही है।
तीन शहरों के लिए बना था 18 करोड़ का प्रोजेक्ट
पुलिस सूत्रों के अनुसार कुछ साल पहले बाहरी बदमाशों पर नकेल कसने के लिए इंदौर, जबलपुर और भोपाल के लिए 18 करोड़ का प्रोजेक्ट बना था। इसमें हर शहर में लगभग सौ नाइट विजन कैमरे इंट्री और एग्जिट के स्थानों पर लगाए गए हैं। कैमेरे लगाने वाली कंपनी से पुलिस का पांच साल का अनुबंध है। वह उसका मेंटेनेंस भी देखेगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved