दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में पांच लाख की इनामी महिला नक्सली दशमी सहित कुल बारह नक्सलियों ने आत्म समर्पण कर दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार जगदलपुर में दरभा डिवीजन कमेटी के अंतर्गत कटेकल्याण एरिया कमेटी सदस्य एवं चेतना नाट्य मंडली अध्यक्ष दशमी ने आत्मसमर्पण किया। उसे पुलिस महानिरीक्षक बस्तर सुंदरराज पी, पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा, सीओ 80 बटालियन सीआरपीएफ अमिताभ कुमार ने मीडिया के समक्ष पेश किया। दशमी वर्ष 2012 से 2020 तक 13 वारदातों में शामिल रही। कोलेंग के पूर्व जनपद सदस्य पांडुराम की हत्या में उसकी अहम भूमिका थी। दशमी का बड़ा भाई लक्ष्मण माचकोट एलओएस कमांडर है।
सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में खूंखार नक्सलियों ने आज एक गांव में हमला कर दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। सूत्रों ने बताया है कि नक्सलियों को शक था यह दोनों शख्स पुलिस के मुखबिर हैं और उनकी हर एक गतिविधियों की जानकारी चुपके चुपके पुलिस थानों में दे रहे हैं। इसी मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने दोनों लोगों को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया है। इसके साथ ही गांव में धावा बोलने आए नक्सलियों ने वहां के लोगों को धमकी देकर के भी गए हैं कि अगर अब कोई हमारी खुफिया जानकारी पुलिस को देगा तो उसका भी हाल इससे भी बदतर करेंगे।
बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों ने पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के स्मारक बना रखे हैं। अभी तक पुलिस ही इन स्मारकों को तोड़ती रही है, लेकिन बुधवार को पहली बार जवानों के साथ ग्रामीणों ने नीलावाय गांव में बने नक्सली स्मारक को तोड़ा है। यह स्मारक नक्सली कमांडर गुंडाधूर का था।
ग्रामीणों ने बताया कि स्मारक बनाने के लिए नक्सली दबाव डालकर रुपये भी वसूलते हैं और मुफ्त में मजदूरी भी कराते हैं। स्मारक के लिए प्रत्येक घर से 200-200 रुपए की चंदे की वसूली की गई थी। इसी इलाके में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दूरदर्शन के कैमरामैन की नक्सली हमले में मौत हो गई थी। गौरतलब है कि दंतेवाड़ा के कई अंदरुनी ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों ने मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के स्मारक बनाकर रखे हैं और इनमें से कई सुदूर गांवों में अभी तक फोर्स की भी आवाजाही नहीं थी। इसलिए नक्सली डरा-धमकाकर मासूम ग्रामीणों से वसूली भी करते थे और स्मारक बनवाने के लिए जबरन काम भी करवाते थे। लेकिन हाल ही में नक्सल प्रभावित इलाकों में जैसे-जैसे सड़क निर्माण कार्य तेजी से बढ़ रहा है तो अंदरुनी इलाकों में फोर्स भी पहुंच रही है। जिससे ग्रामीणों का भी आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
पहले जहां फोर्स के जवान नक्सली स्मारकों को खुद खत्म करते थे, वहीं अब इन गांवों में ग्रामीण भी खुद आगे आकर बता रहे हैं कि नक्सलियों ने किस स्थान पर स्मारक बनाया है और उसे ढहाने में जवानों की मदद भी कर रहे हैं। पुलिस के आला अधिकारियों का मानना है कि यह दर्शाता है कि अब ग्रामीणों के मन में से भी नक्सलियों का खौफ खत्म हो रहा है।
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