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    भोपाल के बालिका गृह से गायब बच्चियों में से 12 अपने घरों में मिलीं, 2 बड़े अधिकारी निलंबित

  • January 06, 2024

    भोपाल: मध्यप्रदेश के भोपाल में बिना अनुमति के चल रहे बालिका गृह से बच्चियों के लापता होने के मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है. कारण, लापता बताई गई 26 बच्चियों में से 12 बच्ची अपने-अपने घरों में मिली हैं. वहीं अन्य बच्चियों को लेकर भी पुलिस की जांच जारी है. उधर, लापरवाही बरतने के लिए 2 अधिकारियों को निलंबित किया गया है. वहीं दो को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ है.

    जानकारी के मुताबिक इस मामले में लापरवाही बरतने पर सीडीपीओ बृजेन्द्र प्रताप सिंह और सीडीपीओ कोमल उपाध्याय को निलंबित किया गया है. साथ ही महिला बाल विकास अधिकारी सुनील सोलंकी एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

    बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने भोपाल के बाहरी इलाके परवलिया में संचालित आंचल बालिका छात्रावास का औचक दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने जब रजिस्टर चेक किया तो पाया कि उसमें 68 बच्चियों की एंट्री थी लेकिन उनमें से 26 बच्चियां गायब थीं. ये बच्चियां गुजरात, झारखंड, राजस्थान, के अलावा मध्य प्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट के रहने वाले थे. बिना अनुमति के बालिका गृह चलाने के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.

    जब चिल्ड्रेन होम के संचालक अनिल मैथ्यू से गायब बच्चियों के बारे में पूछताछ की गई तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. एफआईआर के मुताबिक बालिकाओं के लिए संचालित इस चिल्ड्रेन होम में कई अनियमितताएं मिली. इसकी जानकारी प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर साझा की थी. इस संबंध में प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र भी लिखा है और सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है. मामले को लेकर परवलिया थाना ने एफआईआर भी दर्ज की है.

    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने लिखा था, “मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष और सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह का निरीक्षण किया. जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए गए उनकी जानकारी सरकार को दिए बगैर और बिना लाइसेंस लिए गुपचुप ढंग से बालिका गृह को चलाया जा रहा था और यहां उनसे ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. इस बालिका गृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं.”

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