इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कल इंदौर, उज्जैन और देवास के अधिकारियों की बैठक लेकर सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के निर्देश दिए। लगभग 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया और इसका सबसे ज्यादा भार इंदौर पर ही पड़ेगा। लिहाजा एयरपोर्ट से लेकर सडक़ों, पीने के पानी श्रद्धालुओं के लिए स्नान की सुविधा सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। इंदौर की कान्ह नदी का गंदा पानी क्षिप्रा में ना मिले इसको रोकने के लिए बनाई 99 करोड़ की बोगस योजना पर मुख्यमंत्री भडक़े भी और दो टूक कहा कि एक बार में ऐसी योजनाएं बनाएं जिससे क्षिप्रा का पानी पीने औरआचमन योग्य हो सके। गलत प्लान करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
इंदौर में ही 9 स्टॉप डेम बनाए जाएं, ताकि क्षिप्रा नदी में नालों का गंदा पानी ना मिले। इंदौर-उज्जैन के संभागायुक्त और कलेक्टर को सिंहस्थ के मद्देनजर कार्य योजनाएं बनाने के निर्देश भी दिए। उसी कड़ी में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने एक दिन पहले ही सिंहस्थ के मद्देनजर सभी विभागों की बैठक भी बुलाई और कल उज्जैन में मुख्यमंत्री की बुलाई बैठक में भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कल उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ 2028 के विकास कार्य एवं क्षिप्रा शुद्धिकरण के संबंध में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होने इंदौर एवं उज्जैन संभाग के संभागायुक्तों एवं कलेक्टर्स को कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि आवश्यकता पडऩे पर महाकाल लोक फेस-3 के कार्यों की भी शुरूआत की जायेगी। उन्होंने क्षिप्रा के उद्गम से लेकर समाप्ति स्थल तक घाटों पर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की विस्तृत कार्ययोजनाएं बनाने का निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देश का सबसे बड़ा कुंभ मेला सिहस्थ 12 वर्ष में एक बार उज्जैन में आयोजित होता है जब सिंह राशि में बृहस्पति प्रवेश करते हैं। मेले में साधु, संत, महामंडलेश्वर, गणमान्य नागरिक एवं आम श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। सिंहस्थ का आयोजन न केवल उज्जैन बल्कि देश के लिए एक गौरवशाली क्षण होता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन के अलावा सिंहस्थ मेले का इंदौर, देवास, ओंकारेश्वर दादा धुनी वाले, पशुपतिनाथ मंदिर, बगलामुखी मंदिर में भी सिंहस्थ मेले का विस्तार रहता है। सभी जगह आम जनता की सहभागिता रहती है।
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