बेंगलुरु: 31 दिसंबर की दोपहर को चित्रदुर्ग के पुलिस अधीक्षक रंजीत कुमार बंडारू को एक खतरनाक कॉल आया. जिसने क्राइम थ्रिलर की तरह नाटकीय घटनाओं की एक सीरीज शुरू कर दी. 11 साल के दो लड़कों ने दावा किया कि वे अपहरण की कोशिश से बाल-बाल बच गए. जिससे पुलिस सहित सभी लोग हाई अलर्ट पर आ गए. यह नाटक इमंगला के पास अब्बिनाहोल गांव में तब हुआ, जब लड़के सुबह 10 बजे अपने स्कूल बैग के बिना घर लौट आए.
नियमित रूप से वे सुबह 6.30 बजे धर्मपुरा के लिए बस पकड़ते थे. 9.30 बजे स्कूल में जाने से पहले निजी ट्यूशन में जाते थे. जब उनसे जल्दी लौटने के बारे में पूछा गया, तो लड़कों ने दावा किया कि सफेद मारुति ओमनी में सवार तीन नकाबपोश लोगों ने उनका अपहरण कर लिया था, जिन्होंने उनके चेहरे पर एक रहस्यमयी तरल पदार्थ छिड़का था, जिससे वे बेहोश हो गए थे. जब उन्हें होश आया, तो अपहरणकर्ताओं ने कथित तौर पर हिंदी में कहा कि ये वो बच्चे नहीं हैं और लड़कों को सड़क किनारे छोड़ दिया.
घटनास्थल पर पहुंचे एसपी बंडारू ने बड़ी साजिश की आशंका के चलते कथित अपहरणकर्ताओं और उनकी वैन की तलाश के लिए तुरंत टीमें तैनात कीं. लड़कों के डरे हुए व्यवहार और गायब स्कूल बैग ने उनकी कहानी को विश्वसनीय बना दिया, जिसके चलते अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली और स्थानीय निवासियों से पूछताछ की. लेकिन पहेली के टुकड़ों को एक साथ नहीं जोड़ा जा सका क्योंकि कहानी में कई ढीले सिरे थे.
बंडारू ने कहा कि उन्हें कुछ गड़बड़ लगी जब स्कूल के शिक्षकों ने उन्हें बताया कि दोनों लड़के अपने शरारती व्यवहार के लिए जाने जाते हैं और कभी भी अपना होमवर्क ठीक से नहीं करते. तब तक, अपहरणकर्ताओं और उनके वाहन का पता लगाने के लिए भेजी गई विभिन्न टीमों के अधिकारी इस खबर के साथ वापस आ गए कि किसी भी निवासी ने ओमनी वैन को इधर-उधर घूमते नहीं देखा. साथ ही, जिस जगह पर लड़कों ने दावा किया कि उन्हें वाहन में धकेला गया था, वहां कुछ सीसीटीवी कैमरे भी थे. उनमें भी कुछ नहीं दिखा.
पुलिस ने लड़कों से अलग-अलग पूछताछ की और जल्द ही महसूस किया कि उनके बयानों में कई विरोधाभास थे. शिक्षक की मदद से, पुलिस ने लड़कों को दिलासा दिया और सच बताने पर कोई सजा नहीं देने का वादा किया. फिर उन्होंने झूठी कहानी कहने की बात कबूल की. इसका कारण यह था कि वे अपना होमवर्क पूरा करने में पीछे रह गए थे, जिसके लिए उन्हें सजा मिल सकती थी. जिसमें माता-पिता को स्कूल लाना भी शामिल था. इससे बचने के लिए उन्होंने अपहरण का नाटक रचा.
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