उज्जैन। आज वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सुबह 11 गलतिकाएँ बाँधी गई। इनसे सतत दो माह तक ज्योर्तिलिंग पर शीतल जलधारा प्रवाहित होगी। अंगारेश्वर और मंगलनाथ मंदिर में भी भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी के कलश बाँधे गए हैं। महाकाल मंदिर के पुजारी पं. आशीष गुरु ने बताया कि आज वैशाख मास की प्रतिपदा से भगवान महाकालेश्वर को शीतलता प्रदान करने के लिए गलतिकाएँ बाँधी गई। इसके माध्यम से शीतल जलधारा प्रवाहित करने की मान्यता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों में उल्लेख है कि समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था। जिसे भगवान महादेव ने अपने कंठ में ग्रहण कर लिया था। विष की अग्रि को शांत करने के लिए तभी से भगवान शिव का शीतल जलधारा से अभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है।
इसी के अनुसार आज प्रात: 6 बजे ज्येष्ठ मास की प्रतिपदा से मंदिर के गर्भगृह में गलतिकाएँ बाँधकर शीतल जलधारा का प्रवाह आरंभ कर दिया गया है। प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक लगातार दो महीने सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक 11 मिट्टी की गलतिकाएँ बाँधकर शीतल जल प्रवाहित किया जाएगा। हर साल महाकालेश्वर मंदिर में वैशाख मास की प्रतिपदा से लेकर ज्येष्ठ मास की प्रतिपदा तक यह क्रम चलता है और भगवान महाकाल पर शीतल जलधारा प्रवाहित होती रहती है। महाकाल में आज भी सुबह भक्तों की भीड़ उमड़ रही थी। इधर मंगलनाथ तथा अंगारेश्वर मंदिर सहित शहर के विभिन्न प्रमुख शिव मंदिरों में भी आज सुबह मिट्टी के कलश बाँधे गए तथा शिवलिंग के ऊपर शीतल जलधारा प्रवाह करने का सिलसिला शुरु हो गया।
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