कश्मीर। पिछले कुछ महीनों में कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में में एक बार फिर से आतंकियों ने अपना फन उठाना शुरू कर दिया है। इस बार आतंकियों ने हिंदू और सिखों (Terrorists killed Hindus and Sikhs) के अंदर भय पैदा करने का 1990 का फार्मूला अपनाया है। कश्मीर (Kashmir) में अब आतंकी धर्म पूछ कर लोगों की हत्या कर रहे हैं। यही कारण है कि कश्मीर घाटी (Kashmir) में दिन पर दिन हालात खराब होते जा रहे हैं। सेना के भारी पड़ने पर अब आतंकियों ने ऐसे लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है जो सॉफ्ट टारगेट हैं, हालांक यहां सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम होने के बाद भी आतंकी अपने मंसूबों पर कामयाब हो रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में कश्मीर के ईदगाह में आतंकियों ने बिहार के रहने वाले अरविंद कुमार साह की गोली मारकर हत्या कर दी,जबकि इसी तरह 5 अक्टूबर को बिहार के ही वीरेंद्र पासवान की भी गोली मारकर कर हत्या कर दी थी, हालांकि बिहार में सीएम नीतिश कुमार ने जम्मूकश्मीर के राज्यपाल से फोन पर चर्चा कर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बात की थी। कुलमिलाकर इस महीने आतंकी 11 आम नागरिकों की हत्या कर चुके हैं, जिनमें से 7 गैर-मुस्लिम हैं। इसके बाद घाटी के लोगों में डर बैठ गया है और पलायन के लिए मजबूर हैं।
इन हालातों ने काश्मीर घाटी में एक बार फिर 1990 के दशक की याद दिला दी है। बतातें है कि 1990 तब गैर मुस्लिमों खासकर कश्मीरी पंडितों को रातों-रात घाटी से निकलना पड़ गया था।
इसी तरह एक बार फिर आतंकियों ने अपनी औकात दिखा दी है। 5 अक्टूबर के बाद 7 अक्टूबर को भी आतंकवादियों ने आम नागरिकों पर फायरिंग की थी जिसके कारण दो गैर मुस्लिम शिक्षक की मौत हो गई थी, हालांकि जम्मू कश्मीर में आतंक के खिलाफ सेना का ऑपरेशन भी जारी है। बताया जाता है कि सेना के ऑपरेशन में आतंकियों को ढेर करने का काम भी जारी है।
सेना ने बढ़ते आतंकवाद के बाद कश्मीर में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है। जिसके खिलाफ महबूबा मुफ्ती का बयान भी सामने आया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी द्वारा हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाए जाने का सिलसिला तेज हो गया है और इसके चलते उनके पलायन का दौर भी शुरू हो गया है।
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