नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार से उन्नीस विपक्षी दल देश भर में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। विरोध प्रदर्शन सितंबर के अंत तक यानी 11 दिनों तक चलेगा। वहीं इस प्रदर्शन को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा कि उनकी पार्टी से संबंधित राज्य इकाइयों द्वारा इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी। विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस दौरान हम कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखेंगे।
बता दें कि अगस्त में हुई वर्चुअल मीटिंग में विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने पर जोर दिया था। इन दलों के नेताओं ने केंद्र के समक्ष 11 सूत्रीय मांगों का चार्टर भी जारी किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई आभासी बैठक के बाद नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि हम संयुक्त रूप से 20 से लेकर 30 सितंबर, 2021 तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
इन मुद्दों पर होगा प्रदर्शन
विपक्षी दलों की मांगों में तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करना, पेगासस हैकिंग विवाद की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच, जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव के साथ वहां सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और राफेल सौदे की उच्च स्तरीय जांच शामिल हैं।
धरना से पहले विपक्षी नेताओं ने जारी किया संयुक्त बयान
वहीं धरना देने से पहले विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान देते हुए कहा कि हम 19 विपक्षी दलों के नेता, भारत के लोगों से आह्वान करते हैं कि वे अपनी पूरी ताकत से अपनी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्रात्मक व्यवस्था की रक्षा के लिए इस अवसर पर उठ खड़े हों। भारत को आज बचाएं, ताकि हम इसे बेहतर कल के लिए बदल सकें।
विपक्षी नेताओं ने सरकार पर लगाए आरोप
विपक्षी नेताओं ने संसद के मानसून सत्र को अचानक समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। नेताओं ने पेगासस मुद्दे, नए कृषि कानूनों, मुद्रास्फीति, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और कोरोनो महामारी के कथित प्रबंधन पर बातचीत नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कोरोना महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को तत्काल तेज करने की मांग की।
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