उज्जैन। सड़क दुर्घटनाओं में जिला अस्पताल के लिए रैफर किए जाने वाले घायलों को अब 108 एम्बुलेंस चालक सीधे प्रायवेट अस्पताल लेकर पहुँच रहे हैं। जबकि 108 एम्बूलेंस चालक को यह अधिकार ही नहीं है। बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है। अग्रिबाण की पड़ताल में कई बातें सामने आई हैं।
जीपीएस ट्रेकर फिर भी निगरानी नहीं
जिले में शासन द्वारा चलवाई जा रही प्रत्येक 108 गाड़ी पर जीपीएस सिस्टम लगा होता है ताकि वाहन की लोकेशन पर नजर रखी जा सकें लेकिन उज्जैन शहर में चलने वाली करीब आठ 108 गाडिय़ों की लोकेशन पर किसी की नजर नहीं हैं, वहीं कई वाहनों में तो जीपीएस सिस्टम ही बंद पड़े हैं। इसका फायदा भी 108 चालक उठा रहे हैं। बावजूद जिम्मेदारों द्वारा इसकी कोई सुध नहीं ली जा रही हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि 108 वाहनों में जीपीएस ट्रेकर लगा होता हैं। बावजूद सड़क हादसों के मामलों में 108 वाहन चालक घायल मरीजों को सीधे निजी अस्पताल कैसे ले जा रहे हैं। 108 वाले जिन निजी अस्पतालों में मरीज को जबर्दस्ती इलाज के लिए ले जाते हैं। उनमें शहर के पाटीदार, तेजनकर, अवंती, अथर्व और आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज प्रमुख रूप से शामिल हैं।
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