डेस्क: ब्रिटेन में 4 जुलाई को हुए संसदीय चुनाव के बाद आज तेजी से परिणाम आ रहे हैं. ब्रिटेने के 650 सीटों के सभी उम्मीदवारों के किस्मत का आज फैसला हो रहा है. शुरुआती परिणामों से ही साफ हो गया है कि ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी इस बार सत्ता से बाहर हो रही है. लेबर पार्टी के 61 वर्षीय कीर स्टार्मर अब ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. एग्जिट पोल के मुताबि, 650 सीटों में से लेबर पार्टी को 410 सीटें मिल सकती हैं. पिछले चुनाव में 15 भारतीय मूल के उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी. इस बार 107 ब्रिटिश-भारतीय चुनाव मैदान में हैं. अभी तक कितने भारतीय मूल के उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है, यहां हम बता रहे हैं.
इस बार के चुनाव में 30 भारतीय मूल के लोगों को कंजर्वेटिव पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था, वहीं लेबर पार्टी ने 33 भारतीय-ब्रिटिश को कैंडिडेट बनाया. लिबरल डेमेक्रेट्स ने 11, ग्रीन पार्टी ने 13, रिफॉर्म यूके ने 13 और अन्य 7 भारतीय मूल के उम्मीदवार इस बार के संसदीय चुनाव में प्रत्याशी थे. भारतीय मूल के पीएम ऋषि सुनक भले ही पार्टी को जीत न दिला पाए हों, लेकिन उन्होंने उत्तरी इंग्लैंड में अपनी सीट बरकरार रखी है. उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है और इस्तीफा देने के लिए लंदन रवाना हुए हैं.
भारतीय मूल की उम्मीदवार शिवानी राजा लीजेस्टर ईस्ट से लेबर पार्टी की उम्मीदवार थी, जिन्होंने जीत हासिल की है. लीजेस्टर ईस्ट सीट से इस बार कई दिग्गज मैदान में थे, जिसमें पूर्व सांसद क्लाउड वेब्बे और कीथ वाज भी शामिल थे. ये सांसद निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में थे. शिवानी राजा का जन्म भी लीजेस्टर में हुआ था. इन्होंने हेरिक प्राइमरी, सोअर वैली कॉलेज, विगेस्टन और क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय कॉलेज से पढ़ाई की है.
लेबर पार्टी के ही कनिष्क नारायण ने वेल्स में जीत हासिल की है, उन्होंने अलुन केर्न्स को पटखनी दी है. नारायण अल्पसंख्यक जातीय पृष्ठभूमि से आते हैं. इस समूह से वे वेल्स के पहले सांसद बने हैं. नारायण का जन्म तो भारत में हुआ था लेकिन जब वह 12 साल के थे तभी कार्डिफ चले गए थे. स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करने के लिए वह ईटन गए थे. सिविल सेवक बनने से पहले वह ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवरिस्टी से पढ़ाई कर चुके हैं. काफी बाद में वे राजनीति में शामिल हुए.
भारतीय मूल की उम्मीदवार सुएला ब्रेवरमैन ने फरेहम और वाटरलूविल सीट से जीत हासिल की है. ऋसि सुनक की सरकार में वह कुछ दिनों के लिए मंत्री भी बनी थी, लेकिन बाद उनको एक विवादित बयान की वजह से मंत्री पद से हटा दिया गया था. मेट्रोपॉलिटन पुलिस पर उन्होंने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के प्रति बहुत नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया था.
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