उज्जैन। कोरोना कफ्र्यू में जहां सारा शहर अनलॉक था, ऐसे में भी कई लोगों की जिंदगी की सांसें लॉक हो गईं। पांच माह में शहर में वाहन दुर्घटनाओं में 104 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। जहां पिछले साल 50 से कम मौतें हुई थी, वहीं इस वर्ष करीब 60 मौतें अधिक हुई हैं। वहीं दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं, जिनमें कई लोग गंभीर घायल हुए हैं और कई लोगों ने हाथ-पैर भी गंवाए।
शहर में यातायात नियंत्रण एक बड़ी समस्या है, जिसको लेकर लगातार अभियान चलाए जाते रहे हैं, ताकि शहर को यातायात में भी नंबर वन बनाया जा सके। लेकिन ताजा आंकड़ों को देखें तो यह दूर की कौड़ी लग रहा है। पांच माह की बात करें तो जहां दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं मौत का आंकड़ा भी। इसके अलावा इस साल गंभीर रूप से दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या 590 है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 60 था। बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में यहां से गुजरे थे। इस दौरान कई दुर्घटनाओं का शिकार हुए थे। इसके अलावा साधारण घायलों की बात करें तो पिछले साल पांच माह में 100 के करीब लोग घायल हुए थे, जबकि इस साल 590 लोग घायल हुए हैं। लॉकडाउन के बाद भी दुर्घटनाएं और मौत का आंकड़ा बढऩा पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। इस साल 5 माह में 585 हुए हैं और घायल 590 लोग हुए हैं। डीएसपी सुरेन्द्र राठौर ने बताया कि इस लॉकडाऊन में वाहनों के आवागमन पर रोक नहीं होने के चलते दुर्घटनाएँ अधिक हुई हैं, जबकि पिछले साल वाहन नहीं चले थे। जहां हादसे हुए उन मार्गों में उन्हेल रोड, देवास रोड, बडऩगर रोड, मक्सीरोड और आगर रोड प्रमुख हैं। जहाँ लाईट और मार्ग में मोड़ के कारण अत्यधिक दुर्घटनाएँ हुई हैं।
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