भोपाल। प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव से जुड़ी 100 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में पहुंच गई हैं। हाईकोर्ट अब तक ऐसी 56 याचिकाओं को खारिज कर चुका है, जबकि 52 याचिकाएं पेंडिंग हैं। जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर हाईकोर्ट ने कुछ याचिकाओं पर निचली अदालत में ही सुनवाई के लिए कहा है। कोर्ट ने कुछ याचिकाओं पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में रोकी नहीं जा सकती। हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा याचिकाएं आरक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली लगी हैं।
इनमें कहा गया है कि प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से चुनाव हो रहे हैं, जबकि अब उन निकायों में जातिगत समीकरण बदल चुके हैं। कई स्थानों पर रोटेशन न होने के कारण याचिकाएं दायर हुई हैं। हाईकोर्ट में आरक्षण में रोटेशन का एक मामला गंजबासौदा का था, जो अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। मांझी समाज की आरक्षण से संबंधित एक याचिका हाईकोर्ट ग्वालियर ने निरस्त कर दी है। उधर, भिंड में नट जाति को ओबीसी में मान्य नहीं करने के एक फैसले के खिलाफ याचिका दायर हुई है, जिस पर सुनवाई होना है। इंदौर में हाल में दो याचिकाएं इस आधार पर निरस्त की गई कि उनकी सुनवाई निचली अदालत में ही हो सकती है। याचिकाकर्ता जिला कोर्ट में याचिका लगाएं।
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