भोपाल। प्रदेश में अभी तक समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले किसानों का पंजीयन प्राथमिक साख सहकारी समितियों पर मुफ्त में हो जाता था, लेकिन इस बार गेहूं खरीदी नीति में बदलाव किया गया हे। जिसके तहत पंजीयन का काम समितियों के अलावा एमपी आनलाइन, कामन सर्विस सेंटर और एमपी किसान एप को भी दया गया है। इन सेंटरों ने पंजीयन के नाम पर किसानों से 50 रुपए वसूले। प्रदेश में गेहूं के लिए करीब 2 लाख से ज्यादा किसानों ने पंजीयन कराया है। ऐसे में पंजीयन के नाम पर 100 लाख रुपए की वसूली हो गई। इस प्रक्रिया में भी किसानों को पचास रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा। अब स्लाट बुक करने के लिए फिर इन सेंटरों में किसानों को जाना पड़ेगा। इस दौरान फिर उन्हें एक अन्य शुल्क देना पड़ेगा। इस वर्ष किसानों को सिर्फ आधार से जुड़े बैंक खातों में ही पैसा भेजा जाएगा। इससे किसान को परेशानी यह होगी कि यदि उसके चार बैंक खाते हैं तो जो आधार से जुड़ा अंतिम खाता होगा, पैसा उसी खाते में जाएगा। गौरतलब है कि इंदौर और उज्जैन संभाग में 25 मार्च से गेहूं की खरीद प्रारंभ होने जा रही है। वहीं बाकी प्रदेश में यह एक अप्रैल से शुरू होगी।
उत्तर प्रदेश का गेहूं खरीदी माडल अपनाया
इस बार गेहूं खरीद नियमों में किए गए बदलाव का व्यापक असर दिख रहा है। उत्तर प्रदेश का गेहूं खरीदी माडल मध्य प्रदेश में लागू किए जाने के कारण सात लाख किसानों ने समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन नहीं कराया। दरअसल, इस वर्ष प्रदेश के किसानों से छन्ना लगाकर गेहूं की खरीदी की जाएगी। इससे किसानों को नुकसान होगा। पहला नुकसान उन छोटे दानों का होगा, जो छन्ना लगाने पर बचेंगे। उस गेहूं का परिवहन खर्च भी किसान को भुगतना होगा। दूसरा नुकसान उसे औने-पौने दाम पर बेचने से भी किसान को आर्थिक क्षति होगी।
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