इंदौर (Indore)। पिछले दिनों जबलपुर में जो भीषण अग्निकांड अस्पताल (fire hospital) में हुआ था उसके बाद प्रदेशभर में फायर एनओसी के साथ बिजली ऑडिट भी अनिवार्य किया गया। इंदौर में 300 से अधिक छोटे-बड़े अस्पताल हैं, लेकिन फायर एनओसी गिनती के 50-60 अस्पतालों ने ही ली है। वहीं 100 से अधिक अस्पताल ऐसे हैं जिन्होंने स्वास्थ्य विभाग के नोटिसों के बावजूद अभी तक एनओसी जमा नहीं की। वहीं अभी जनवरी में शासन ने 50 बिस्तरों से कम वाले छोटे हॉस्पिटलों को एनओसी लेने की प्रक्रिया से मुक्त किया। मगर उन्हें फायर ऑडिट सर्टिफिकेट की कॉपी जमा करानी होगी। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि एक बार फिर इन निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किए गए हैं। 60 से अधिक छोटे अस्पताल अवश्य एनओसी की अनिवार्यता से बाहर हैं।
इंदौर सहित मध्यप्रदेश के कई अस्पतालों में भू-उपयोग परिवर्तन का उल्लंघन भी धड़ल्ले से हुआ है। इंदौर में ही कई अस्पताल आवासीय जमीनों पर बने हैं और यहां तक कि निगम से आवासीय भवन बनाने का ही नक्शा मंजूर करवाया, जिसमें सीएचएल का कैंसर हॉस्पिटल भी शामिल हैं, जो कि एबी रोड पर फडनीस कॉलोनी के आवासीय भूखंड पर निर्मित है। यही स्थिति कई अन्य अस्पतालों की है, जहां पर पार्किंग की सुविधा भी नहीं है। दूसरी तरफ पिछले दिनों अस्पतालों में हुए अग्निकांड के मद्देनजर फायर एनओसी की सख्ती भी लागू की गई। मगर दिक्कत यह है कि कई अस्पताल तय किए गए मापदण्ड ही एनओसी के पूरे नहीं कर पाते, जिसके चलते फायर ब्रिगेड से उन्हें आसानी से एनओसी नहीं मिलती।
इंदौर के सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या का कहना है कि लगभग 100 अस्पतालों को पिछले साल ही फायर एनओसी जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए थे और अभी एक बार फिर इन अस्पतालों को ये नोटिस दिए हैं। लगभग 100 ऐसे अस्पताल हैं जिन्होंने अभी तक फायर एनओसी जमा नहीं करवाई है। वहीं 50 से 60 अस्पताल ऐसे हैं जिन्होंने फायर एनओसी एनओसी जमा करवा दी है। दूसरी तरफ शासन ने पिछले दिनों छोटे अस्पतालों, खासकर 50 बिस्तरों से कम वालों को एनओसी के दायरे से तो बाहर किया, मगर उन्हें फायर ऑडिट सर्टिफिकेट अवश्य स्वास्थ्य विभाग के पास जमा कराना पड़ेगा। इन अस्पतालों के लिए जो मापदण्ड तय किए हैं उनमें कई 15 मीटर की हाइट से कम हैं, तो 5 हजार स्क्वेयर फीट से कम निर्मित क्षेत्र है। ऐसे छोटे अस्पतालों को एनओसी की बजाय सिर्फ ऑडिट सर्टिफिकेट देने को कहा है और अब स्वास्थ्य विभाग नए सिरे से भी सभी अस्पतालों का सर्वे करवा रहा है। इससे यह पता लगेगा कि कितने अस्पतालों ने फायर एनओसी ले ली है। गत वर्ष नवम्बर में भी 200 से अधिक अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी किए थे। विभाग का कहना है कि अभी तक 60-70 अस्पतालों ने ही ये एनओसी हासिल की है। वहीं सरकारी अस्पतालों के पास भी एनओसी नहीं है। जबकि अभी कुछ समय पूर्व भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आग लगने के बाद इंदौर सहित प्रदेशभर के अस्पतालों के लिए एनओसी की अनिवार्यता लागू की गई। वहीं सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ स्वास्थ्य केन्द्रों, जो कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं उनके पास भी अग्निशमन के कोई प्रबंध नहीं हैं।
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