नई दिल्ली । राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जब 7 सितंबर को कन्याकुमारी (Kanyakumari) से हिन्दुस्तान का जन गण मन टटोलने भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) पर पैदल निकले तो कांग्रेस (Congress) के ‘राजकुमार’ की इस पदयात्रा को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थीं. 3570 किलोमीटर का सफर, मौसम का उतार-चढ़ाव, SUVs के आदी, पैदल चलना भूल चुके कांग्रेसी. कैसे करेंगे? कौन आएगा? हो पाएगा?
दरअसल, हिन्दुस्तान के उत्तर और दक्षिण सिरे को जोड़ने वाली ये दूरी ही इतनी विशाल थी कि लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे थे. आज 16 दिसंबर को राहुल की पदयात्रा 100 दिन पूरे कर चुकी है और इस 100 दिन की ‘कमाई’ ने कांग्रेस कैडर में उत्साह का एक अभूतपूर्व संचार कर दिया है. अब इस यात्रा में राहुल के नाम आंकड़ों का एक ऐसा रिकॉर्ड है. जिसने राहुल गांधी को 2024 की चुनौती के लिए ठोस आधार दे दिया है.
100 दिन, 8 राज्य, 42 जिले और 2800 किलोमीटर का पैदल सफर
100 दिन, 8 राज्य (तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान), 42 जिले और 2800 किलोमीटर का पैदल सफर. भारत जोड़ो यात्रा का ये आंकड़ा किसी आसान सफर की कहानी नहीं है. 7 सितंबर को जब राहुल कन्याकुमारी की चिपचिपी गर्मी से अपना सफर शुरू कर रहे थे तब से लेकर आज तक हिन्दुस्तान का चुनावी और मौसमी माहौल बदला है. इन 100 दिनों में राहुल ने न सिर्फ मौसम के अनुकूल खुद को ढाल कर अपनी चुस्ती फुर्ती कायम रखी है, बल्कि सियासी हवा भी थोड़ी बहुत कांग्रेस के अनुकूल हुई है.
हिमाचल की जीत कांग्रेस के लिए राहत का फुहार लेकर आई है, लेकिन गुजरात और दिल्ली की टैली अभी सवाल बन कर खड़ी है. राहुल के नेतृत्व में कांग्रेसियों का ये मोबलाइजेशन पार्टी को ऊर्जा दे गया है, जिसकी दरकार कांग्रेस को शायद 2014 से ही थी. कांग्रेस राहुल के पैन इंडिया जुड़ाव को महसूस करना चाहती थी. चुनावों में कांग्रेस को ये कामयाबी नहीं मिल रही थी. लेकिन इलेक्शन की गहमा गहमी से दूर राहुल जनता से कनेक्ट कायम करने में सफल दिख रहे हैं और उनकी छवि भी बदल रही है.
राहुल गांधी की बदल रही इमेज
राहुल गांधी को सियासत में कदम रखे करीब दो दशक हो रहे हैं, लेकिन ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले तक उन्हें एक गंभीर नेता के तौर पर नहीं देखा जा रहा था. जमीनी नेता के बजाए उन्हें हवा हवाई नेता माना जाता था. हालांकि, राहुल गांधी कहते हैं कि बीजेपी ने मेरी छवि खराब करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए हैं और उन्होंने मेरी एक छवि बनाई है.
राहुल गांधी ने बीते 100 दिनों की यात्रा कर उस मुकाम के आसपास पहुंचते दिख रहे हैं, जिसके लिए बीते 18 सालों से वे संघर्ष करते नज़र आ रहे थे. बीच बीच में भले उनमें स्पार्क नजर आया हो, लेकिन पहली बार ऐसा मौका है जब राहुल गांधी खुद को सीरियस प्लेयर के तौर पर साबित करते दिखाई पड़ रहे हैं.
कांग्रेस इस यात्रा को चुनाव से जोड़कर देखती भी नहीं. पार्टी के मुताबिक ये केंद्र की नीतियों के खिलाफ जन जागरण का अभियान है. कांग्रेस के अनुसार आज हमारे देश को विभाजित करने वाले आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए लाखों लोग इस आंदोलन में शामिल हुए हैं.
यह यात्रा बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी, महंगाई, नफ़रत, विभाजन की राजनीति और राजनीतिक व्यवस्था के अति-केंद्रीकरण के विरुद्ध जन-जागरण का काम कर रही है. भारत जोड़ो यात्रा को चुनाव से न जोड़कर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने रणनीतिक फैसला लिया है, ऐसा करके राहुल इस यात्रा से बनी लोकप्रियता को सीधे 2024 में भुनाना चाहते हैं. अन्यथा उन्हें अगले कुछ महीने में ही भारत जोड़ो यात्रा से बनी छवि को चुनावी कसौटी पर कसना होगा.
कर्नाटक में इसका असर साफ दिखा जहां सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों गुटों ने एक साथ मिलकर मेहनत की और राहुल गांधी की यात्रा को वहां काफी सफल बनाया. वहीं. महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी की तुलना में कांग्रेस एक छोटी पार्टी बन गई है, लेकिन उसके बावजूद राहुल गांधी की यात्रा के दौरान कांग्रेस का संगठन मजबूत दिखा. ऐसे ही राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी मतभेद के बावजूद संगठन ने भीड़ जुटाने में अहम रोल अदा किया.
एक्टर, इकोनॉमिस्ट, एक्टिविस्ट… राहुल के साथ सबने किया कदमताल
कन्याकुमारी से निकला राहुल का कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस कारवां में लेखक, एक्टर, इकोनॉमिस्ट, सोशल साइंटिस्ट, एक्टिविस्ट सभी जुड़ रहे हैं. इस यात्रा में जुड़ रहे लोगों का कैनवस इतना बड़ा है कि इससे एक मैसेज निकल कर जनता के बीच में जा रहा है. ये मैसेज है कि देश का एक बड़ा तबका राहुल का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार है.
कांग्रेस के अनुसार यह यात्रा यह भारत की एकता, सांस्कृतिक विविधता और भारत वासियों के अविश्वसनीय धैर्य का उत्सव है. जाहिर है इस धैर्य का असली परिणाम कांग्रेस 2024 में देखना चाहती है.
100 दिन में राहुल की ये यात्रा कई अहम पड़ावों से होकर राजस्थान तक पहुंची है. कई विवाद आए कुछ पैदा किए गए. वैसे भी भारत का कोई भी मेगा इवेंट विवादों से दूर कहां रह पाता है.
‘बरबेरी की 40 हजार की टीशर्ट’
इस यात्रा के पहले दिन से ही राहुल गांधी ने अपने लिबास में टी शर्ट को शामिल रखा. चूंकि राहुल को पैदल चलना था. दौड़ना था. सैकड़ों लोगों से मिलना था, इसलिए टी शर्ट उनकी सहज पसंद बन गया. कन्याकुमारी से राहुल राजस्थान आ गए, मौसम भी बदल गया, राहुल का चेहरा भी बदल गया, लेकिन जो नहीं बदला वो था उनका टी शर्ट पहनना. राहुल कन्याकुमारी में भी टीशर्ट पहने दिखे और आज भी टी शर्ट में नजर आते हैं.
यात्रा की शुरुआत में ही राहुल गांधी की टीशर्ट पर विवाद हुआ. बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल burberry की टीशर्ट पहने हैं और इसकी कीमत 41,257 रुपए है. कांग्रेस ने इस आरोप पर करारा जबाव देते हुए लिखा,”अरे… घबरा गए क्या? भारत जोड़ो यात्रा में उमड़े जनसैलाब को देखकर. मुद्दे की बात करो… बेरोजगारी और महंगाई पर बोलो. बाकी कपड़ों पर चर्चा करनी है तो बात मोदी जी के 10 लाख के सूट और 1.5 लाख के चश्मे तक जाएगी. बताओ करनी है?
संघ की जलती हुई निक्कर
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक और विवाद तब पैदा हुआ जब कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से RSS की जलती हुई निक्कर की तस्वीर पोस्ट की गई. इस तस्वीर को पोस्ट कर लिखा गया कि देश को नफरत की बेड़ियों से आजाद करने और बीजेपी-संघ द्वारा किए गए नुकसान को खत्म करने के लिए… कदम दर कदम हम अपने लक्ष्य तक पहुंचेंगे.
संघ ने राहुल गांधी के इस बयान का जोरदार विरोध किया और कहा कि राहुल के बाप-दादा ने संघ का तिरस्कार किया और अपनी पूरी ताकत के साथ संघ को रोकने का प्रयास किया, लेकिन संघ रुका नहीं, संघ लगातार बढ़ रहा है.
बीजेपी ने भी इस बयान का विरोध किया. बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि कांग्रेस ने 1984 में दिल्ली को आग लगाई और कांग्रेस के ईकोसिस्टम ने 2002 में गोधरा में 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया.
सावरकर पर राहुल का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब महाराष्ट्र के वाशिम में थी तो एक और विवाद हुआ. यहां एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया, उनके सामने एकदम झुके नहीं, वहीं दूसरी ओर सावरकार ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए. राहुल के इस बयान पर बवाल मच गया. बवाल इतना बढ़ा कि कांग्रेस के सहयोगी शिवसेना (उद्धव) ने यहां तक कह दिया पार्टी राहुल के इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है. संजय राउत ने तो सार्वजनिक मंच से बयान दिया और राहुल के बयान से असहमत दिखे.
विवादित पादरी से मुलाकात
भारत जोड़ो यात्रा के सिलसिले दौरान एक और विवाद तब हुआ जब राहुल गांधी तमिलनाडु थे. यहां राहुल गांधी ने विवादित पादरी जॉर्ज पोनइया से मुलाकात की और ऐसा सवाल पूछा जिसके जवाब ने विवाद को हवा दे दी. कन्याकुमारी के मुट्टीडिचन पराई चर्च में राहुल गांधी और पादरी की मुलाकात हुई. राहुल गांधी ने पादरी से पूछा कि यीशु मसीह भगवान का एक रूप है? क्या यह सही है?” उनके इस सवाल पर पादरी जॉर्ज पोन्निया ने कहा, ‘नहीं, वही असली भगवान हैं.’ राहुल के इस बयान की हिंदू संगठनों ने जोरदार निंदा की.
सद्दाम की दाढ़ी से तुलना
सितंबर में क्लीन शेव दिखने वाला राहुल गांधी का चेहरा नवंबर आते आते दाढी से भर गया. राहुल गांधी की खिचड़ी दाढ़ी में उनका परिपक्व व्यक्त्तित्व निखर कर सामने आ रहा था. इसी दौरान असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ऐसी बात कह दी जिससे विवाद खड़ा हो गया. सरमा ने गुजरात में एक रैली में राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपका चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा क्यों होता जा रहा है? सरमा ने कहा था कि राहुल जी आपका चेहरा ऐसा होना चाहिए, जिसमें लोगों को महात्मा गांधी दिखाई दे, सरदार पटेल दिखाई दे, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए जिसमें सद्दाम हुसैन दिखाई दे. कांग्रेस ने असम सीएम के इस बयान की कड़ी निंदा की.
गुजरात से गुजरे नहीं, अछूता रहा हिमाचल
अब इसे रणनीति कहें या कुछ और लेकिन राहुल ने चुनावी राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा की दूरी बनाए रखी. राहुल की भारत जोड़ो यात्रा गुजरात को उस वक्त छूकर निकल गई जब राज्य का राजनीतिक तापमान हाई था. इसी तरह राहुल गांधी पूरे चुनाव के दौरान गुजरात से गैरहाजिर रहे. चुनावी समीक्षकों और विश्लेषकों ने इस फैसले पर सवाल उठाया तो कांग्रेस ने इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण में देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में जाएंगे.
स्वरा का साथ, कुणाल ने थामा हाथ
राहुल गांधी की इस यात्रा में ऐसे लोग शामिल हुए जिन्हें सत्ता पक्ष और कुछ दूसरे संगठन टुकड़े टुकड़े गैंग का सदस्य कहते हैं. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि भारत पहले से जुड़ा हुआ और एकजुट है. कांग्रेस ही टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़ी है. बता दें कि राहुल की इस पदयात्रा में कई हस्तियां शामिल हुई. पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार तो शुरू से ही उनके साथ चल रहे हैं. इसके अलावा अभिनेत्री स्वरा भास्कर, पूजा भट्ट, रिया सेन, रश्मि देसाई इस यात्रा में शामिल हुईं. इसके अलावा गुजरे जमाने के सुपर स्टार अमोल पालेकर, सुशांत सिंह भी राहुल की यात्रा के हमराही बने.
भारत जोड़ो यात्रा के कंटेनर पर सवाल
राहुल गांधी दिन में यात्रा में अपने साथियों के साथ चलने तो रात कंटेनर में विश्राम करते हैं. यात्रा के अन्य सदस्य भी कंटेनर में भी विश्राम करते हैं. सत्ता पक्ष का आरोप है कि राहुल के कंटेनर वीवीआईपी हैं. इस सवाल पर भी कांग्रेस ने जवाब दिया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यात्रा में शामिल लोगों के रात्रि विश्राम के लिए तैयार किए गए कंटेनर में बस मामूली सुविधाएं हैं, लेकिन इसे बदनाम करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल जिस कंटेनर में रहते हैं उसमें एक बिस्तर है. उन्होंने कहा कि दो बिस्तरों वाले कंटेनर रेलवे के स्लीपर क्लास के कोच के जैसे हैं. जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी के प्रवक्ताओं को ये कंटेनर आकर देखना चाहिए.
राजस्थान में राजन की एंट्री ने चौकाया
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का आना लोगों को चौंका गया. राजन ने राहुल के साथ न सिर्फ कदमताल किया बल्कि उनके साथ देश की इकोनॉमी पर भी चर्चा की. बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राजन को कांग्रेस ने ही नियुक्त किया था, ऐसे में उनके साथ बातचीत पर किसी तरह का आश्चर्य नहीं होना चाहिए. रघुराम राजन ने नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के लिए अगला साल और भी कठिनाई से भरा रहने वाला है और उसे लोअर मिडिल क्लास की दिक्कतों का ध्यान रखना चाहिए.
दिल्ली में पार्टी की नाकामी से होगा राहुल का सामना
बता दें कि ये यात्रा आज से एक सप्ताह के विराम पर होगी और 24 दिसंबर को दिल्ली प्रवेश करेगी जहां राहुल का सामना MCD चुनाव में पार्टी की नाकामी से होना है. इसके बाद ये यात्रा यूपी के लिए रवाना होगी. लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के वेबसाइट में यूपी में इस यात्रा का एक मात्र ठहराव बुलंदशहर है. इसके बाद आगे यात्रा का लक्ष्य हरियाणा पंजाब और आखिरकार जम्मू कश्मीर है. पार्टी का लक्ष्य 150 दिनों में 12 राज्यों का सफर तय कर पैदल 3570 किलोमीटर की दूरी तय करना है. इस यात्रा को 737 किलोमीटर का सफर तय करना अभी बाकी है.
कांग्रेस का संगठन कितना मज़बूत हआ है, इसकी असल परीक्षा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में होगी. कर्नाटक, मध्यप्रेदश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कुल 13 राज्य हैं जहां 2024 के आम चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें राजस्थान में हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. कांग्रेस के लिए राजस्थान में रिवाज बदलने की चुनौती होगी तो छत्तीसगढ़ में सत्ता को बचाए रखने के लिए जद्दोजहद करना होगा.
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