इंदौर, बजरंग कचोलिया। बहुचर्चित आशीष गोहिल एनकाउंटर केस में मृतक के साथी को सेशन कोर्ट ने पुलिस पर कातिलाना हमले के जुर्म में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाकर जेल भेजा है। अहम बात यह है कि मजिस्ट्रियल जांच में एनकाउंटर को फर्जी माना गया था, किंतु सेशन कोर्ट ने उसके समक्ष कोई रिकार्ड पेश नहीं होने से कोई अभिमत नहीं दिया है।
सूत्रों के अनुसार 20-21 जुलाई 2007 की रात 3.30 बजे 17 वर्षीय आशीष गोहिल निवासी बैतूल का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। इल्जाम था कि वह अपने एक साथी के साथ मिलकर बायपास रोड पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के पास ट्रकों को रोककर लूटपाट कर रहा था। पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिलने पर लसूडिय़ा थाने के बाज स्क्वाड के सिपाही मुलायमसिंह व लखनलाल वर्मा उन्हें रोकने मौके पर पहुंचे तो बदमाशों ने उन पर भी देशी कट्टे से गोलियां चलाईं, जिससे एक गोली लखन को पेट में लगी। उसने आत्मरक्षार्थ जवाब में फायरिंग की तो गोली आशीष को लगी और वह ढेर हो गया। अन्य पुलिसवाले शैलेंद्र व राजेश भी पहुंचे तो उन पर गोली चलाई गई थी। इस दौरान मृतक का साथी अंधेरे का लाभ उठाकर फरार हो गया। इस मामले में लसूडिय़ा पुलिस ने कातिलाना हमले का केस भी दर्ज किया था।
मामले में चार साल बाद पुलिस ने आशीष के साथी के रूप में पंकज पिता मुन्नालाल पंवार (33 वर्ष) निवासी विवेकानंद वार्ड, बैतूल की शिनाख्त करते हुए उसे गिरफ्तार किया था। यह केस सेशन कोर्ट में चला तो मृतक की मां पुष्पा ने पंकज को नहीं पहचाना, जबकि पिता दुर्लभसिंह ने भी उससे अंजान बनते हुए कहा कि उसके पुत्र का दोस्त पंकज तो काला फाटा बैतूल में दुर्गा मंदिर के पीछे रहता है, जो घटना के पहले उसके पुत्र को शैगांव ले गया था। मृतक की बहन भावना ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए मुलजिम पंकज को नहीं पहचाना, किंतु सवालों के जवाब में पंकज द्वारा उसके घर आकर रूकने व खाना खाने की बात स्वीकारी, वहीं मुलजिम के घर के सामने रहनेवाले उत्सुक आर्य ने उसकी पहचान पंकज के रूप में ही की, जिसे पुलिस पकड़ कर ले गई थी। ऐसे में पहचान होने से न्यायाधीश जयदीपसिंह ने पंकज को पुलिसवाले पर कातिलाना हमले के जुर्म में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाकर जिला जेल भेज दिया। उस पर छह हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। अदालत में बचाव पक्ष ने मजिस्ट्रियल जांच में एनकाउंटर के फर्जी साबित होने की दलील दी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष मामला एनकाउंटर का नहीं, बल्कि कातिलाना हमले का है और मजिस्ट्रियल जांच का रिकार्ड भी पेश नहीं हुआ है, ऐसे में एनकाउंटर को लेकर कोई अभिमत नहीं दिया है।
एसडीएम ने पाया डंडे से पीट-पीटकर मार डाला
सूत्रों के अनुसार आशीष गोहिल एनकाउंटर केस की तत्कालीन एसडीएम विवेक श्रोत्रिय ने न्यायिक जांच की तो उन्होंने एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। आशीष के शरीर में 12 घंटे के दरमियान दो गोली, 15 डंडे की चोंटे पाई गई थीं, जिससे प्रतीत होता था कि आशीष को पहले किसी थाने में जमकर पीटा गया था और इससे मृत्यु होने की संभावना के चलते उसे फर्जी मुठभेड़ में मृत बता दिया गया। मृतक के पास से एक देशी कट्टा जब्त हुआ था, जिससे पुलिस ने 15 गोली चलने की बात कही थी, किंतु फारेंसिक जांच में उससे एक भी गोली चलना नहीं पाई गई। घटना की न्यायिक जांच में यह आपराधिक मानव वध यानी आशीष की हत्या का मामला पाया गया था। इसे लेकर मृतक के पिता ने हाईकोर्ट में सीबीआई से जांच के लिये याचिका तक लगाई थी।
घायल पुलिसवाले ने की थी मुजरिम की शिनाख्त
मामले में घायल पुलिसवाले लखनलाल ने 1 माह 29 दिन अस्पताल में इलाज कराया था। जब आरोपी को गिरफ्तार किया गया तो उसने उसे सेंट्रल जेल में जाकर पहचाना था। बहरहाल कातिलाना हमला का केस चलने पर बचाव पक्ष ने एनकाउंटर पर सवाल उठाये और कहा कि मृतक आशीष का मौके से ही ड्राइविंग लायसेंस जब्त होना बताया जा रहा था तो फिर उसका पोस्टमार्टम अज्ञात शख्स के रूप में क्यों किया गया और फिर परिजनों को सूचना दिये बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन प्रकरण के एनकाउंटर से संबंधित नहीं होने से ये दलीलें नाकाम रहीं।
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