नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 10 साल पुराने 1 लाख से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया है. राज्य सरकारों ने इन वाहनों के मालिकों के पास सिर्फ दो विकल्प छोड़े हैं, या तो इन वाहनों को इलेक्ट्रिक किट लगाकर इस्तेमाल किया जाए, या फिर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेकर इसे अन्य राज्यों में बेच दें.
ये जानकारी दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने दी है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ ही दिनों में 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के लिए भी यही कदम उठाया जाएगा. ऐसे वाहनों की कुल संख्या 43 लाख होने का अनुमान लगाया गया है जिनमें 32 लाख टू-व्हीलर्स और 11 लाख कारें शामिल हैं.
वाहन मालिक पर जुर्माना किया जाएगा
कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने निर्देश दिए थे कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को अनिवार्य रूप से स्क्रैप या कहें तो नष्ट किया जाएगा. ऐसे वाहन अगर सड़क पर चलते दिखे तो उन्हें तत्काल जब्त कर लिया जाएगा.
वाहन मालिक पर जुर्माना किया जाएगा और उनका वाहन ट्रांसपोर्ट विभाग के लाइसेंस्ड स्क्रैपर को सौंप दिया जाएगा. यहां स्क्रैपर वाहन को टो करने की व्यवस्था करेगा और आपके वाहन को स्क्रैपेज सेंटर भेज दिया जाएगा. अगर मौके पर स्क्रैपर नहीं आ पा रहा तो स्थानीय पुलिस के पास इस वाहन को जब्त करने का अधिकार होगा और इसे पुलिस द्वारा स्क्रैपिंग यार्ड भेजा जाएगा.
1,01,247 वाहन का रजिस्ट्रेशन कैंसिल
कुल 1,01,247 वाहन जिनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया गया है उनमें 87,000 कारें, माल वाहक, बसें और ट्रैक्टर शामिल हैं. इन्हें इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने के लिए दिल्ली सरकार ने 8 इलेक्ट्रिक किट निर्माताओं को अनुमति दी है. इसके अलावा राज्य सरकार और भी कई निर्माताओं से इस काम में इजाफा करने के लिए बात कर रही है.
इनमें दो और तीन-पहिया वाहन शामिल हैं जिन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून द्वारा सड़क पर चलाने की अनुमति नहीं मिल पाई है. ऑटोमोटिव विशेषज्ञों का कहना है कि बैटरी की क्षमता के हिसाब से पुरानी पेट्रोल और डीजल कारों को इलेक्ट्रिक कार में बदलने पर 3-5 लाख रुपये का खर्च वाहन मालिकों को आएगा. इसी काम के लिए दो और तीन-पहिया वाहनों को कारों के मुकाबले कम रकम खर्च करनी होगी.
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