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एक-दो दिन में इंदौर पहुंचेंगे रेमडेसिविर के 10 हजार डोज

April 09, 2021

असम से इंदौर के लिए रवाना हुए…महाराष्ट्र में न रोक लें, इसलिए सीधे इंदौर लाने की तैयारी
इंदौर। शहर के सभी डाक्टरों से लेकर चिकित्सा संस्थानों ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisivor Injection) को कारगर उपाय बताया है। यह इंजेक्शन फेफड़ों में बढ़ते संक्रमण को रोकने में सक्षम है। इस कारण फेफड़ों में 25 से 30 प्रतिशत संक्रमण की स्थिति के तत्काल बाद इस इंजेक्शन का उपयोग डाक्टरों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन वर्तमान में इंदौर शहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisivor Injection) का भारी टोटा बना हुआ है और इस इंजेक्शन के अभाव में कई लोग जान गंवा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा उक्त इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा सीधे असम (Assam) से 10 हजार इंजेक्शनों की खेप मंगवाई गई है, जो एक-दो दिनों मेें इंदौर पहुंचेगी।
रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisivor Injection) बनाने वाली सनफार्मा कंपनी (Sanpharma Company) के गुवाहाटी (Guwahati) से इंजेक्शन की यह खेप आज या कल शाम तक निकलने की संभावना है। अभी तक यह इंजेक्शन महाराष्ट्र के भिवंडी से होते हुए इंदौर पहुंचते थे, लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) में बिगड़ते हालात को देखकर आशंका है कि राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की आपूर्ति के लिए भेजी जा रही इस खेप को वहीं रोक लिया जाए, इसलिए उक्त रेमडेसिविर के डोज को सीधे इंदौर लाने की तैयारी की जा रही है। बताया जाता है कि यह डोज पहले दिल्ली पहुंचने के बाद इंदौर के लिए रवाना हो जाएंगे। मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने इस आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए सनफार्मा कंपनी से व्यक्तिगत संबंध रखने वाले इंदौर के डीएनएस अस्पताल के डॉ. मनीष संघवी ( Dr. Manish Sanghvi) से संपर्क कर उक्त आपूर्ति को सुनिश्चित कराया। बताया जा रहा है कि इनमें से 5 हजार डोज महात्मा गांधी मेडिकल कालेज (Mahatma Gandhi Medical College) को दिए जाएंगे, जहां मरीजों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। बाकी जैसे-जैसे उक्त डोज की आपूर्ति होती जाएगी वैसे-वैसे अन्य अस्पतालों को भी उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्तमान में शहर में बढ़ते संक्रमण के चलते कई लोग गंभीर अवस्था में पहुंचकर उक्त इंजेक्शन की आस में बैठे हुए हैं, लेकिन मेडिकल स्टोरों मेें उक्त इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के कारण मरने वालों की तादाद में भारी इजाफा होता जा रहा है। इस इंजेक्शन के लिए हालत यह हो गई है कि शहर के जितने नेता, जनप्रतिनिधि एवं प्रबुद्धजन हैं, वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लोगों को संकट की इस घड़ी में इंजेक्शन दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हालत यह है कि वे भी बढ़ती मांग के चलते कुछ कर नहीं पा रहे हैं।

6 इंजेक्शनों की जरूरत और एक-दो डोज मिलना भी मुश्किल
लंग्स में बढ़ते संक्रमण (Infections) के चलते लोगों को खतरनाक स्थिति से उबारने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisivor Injection) के 6 डोज की जरूरत होती है, लेकिन वर्तमान में मेडिकल स्टोर पर एक-दो डोज के लिए भी लोगों को भारी मशक्कत करना पड़ रही है। यह एक-दो डोज भी हासिल कर लोग अपने आप को विजेता महसूस कर रहे हैं, लेकिन स्थिति यह है कि यदि एक-दो डोज लगा भी दिए गए तो उसका पूरी तरह असर मुमकिन नहीं है। ऐसी स्थिति में गंभीर स्थिति के मरीजों के लिए कोई विकल्प नहीं मिल पा रहा है। यदि इंदौर शहर मेें 10 हजार डोज की आपूर्ति हो भी गई तो इससे अधिकतम 1500 से लेकर 1700 मरीजों की जान बचाई जा सकती है, लेकिन शहर में बढ़ते संक्रमण (Infections) के कारण हर दिन एक हजार मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें से भी आसपास के गांवों से आने वाले मरीजों की हालत इस कदर गंभीर है कि उन्हें केवल इसी इंजेक्शन के द्वारा बचाया जा सकता है, लेकिन इस इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं होने के कारण मृतकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।


इधर इंजेक्शन नहीं तो उधर ऑक्सीजन का भी टोटा
शहर में इधर इंजेक्शन नहीं हैं तो उधर ऑक्सीजन का भी टोटा बना हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा निर्माण के अन्य कार्यों में उपयोग में होने वाले ऑक्सीजन सिलेंडरों पर रोक लगा दी गई है, जिससे उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। लेकिन चिकित्सा के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति अहम होने के चलते शहर के निजी उत्पादकों से केवल अस्पतालों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं अन्य शहरों से भी ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है, लेकिन ऑक्सीजन का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है और वहां बिगड़े हालात के चलते अन्य शहरों की आपूर्ति पर वहां की राज्य सरकार ने रोक लगा दी है।


सामान्य स्थिति के लिए अन्य विकल्प भी उपलब्ध, लेकिन डाक्टरों का केवल रेमडेसिविर पर जोर
रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisivor Injection) की उपलब्ध कम होने का कारण यह है कि सामान्य स्थिति में उपचार के लिए चिकित्सा के अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं, लेकिन डाक्टरों द्वारा केवल रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाने पर जोर दिया जाता है। जैसे ही मरीज अस्पताल पहुंचता है वैसे ही डाक्टरों द्वारा उक्त इंजेक्शन लाने के लिए पर्ची थमा दी जाती है। मरीज के परिजन भी उक्त इंजेक्शन को एकमात्र विकल्प मानकर दर-दर की ठोंकरे खाते हैं, लेकिन हालत यह है कि शहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता नहीं है।


पांच कंपनियां बना रही हैं रेमडेसिविर लेकिन देशभर की आपूर्ति असंभव
रेमडेसिविर (Remedisivor) वह इंजेक्शन है, जो कोरोना (Corona) काल में सबसे पहले ईजाद किया गया है। इस इंजेक्शन की उपयोगिता को लेकर प्रारंभ मेें तो चिकित्सा क्षेत्र में ही तमाम तरह की अटकलें लगाई गईं, लेकिन जैसे-जैसे उक्त इंजेक्शन का उपयोग मरीजों पर किया गया, वैसे-वैसे गंभीर स्थिति में पहुंचे मरीजों को जब राहत मिली तो चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी अस्पतालों से लेकर मरीजों तक ने इस विकल्प को स्वीकार कर लिया। जब उक्त इंजेक्शन की मांग बढ़ी तो 5 कंपनियों ने अलग-अलग नाम से उक्त इंजेक्शन बनाना शुरू कर दिए। इन 5 कंपनियों द्वारा इंजेक्शन बनाए जाने के बावजूद देशभर में आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है।

देश के हर शहर में फैला संक्रमण…इसलिए स्थानीय उत्पादन ही एकमात्र विकल्प बचा
पहले तो देश के चुनिंदा राज्यों में संक्रमण (Infections) की स्थिति खराब थी, लेकिन अब यह संक्रमण देश के हर शहर में फैलता जा रहा है, इसलिए ऑक्सीजन (Oxygen) से लेकर इंजेक्शन तक की उपलब्धता के साथ ही अस्पतालों की कमी भी अब महसूस होने लगी है। इन अस्पतालों में भी बाहरी मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। यह मरीज भी गंभीर स्थिति में पहुंचने के बाद शहर के अस्पतालों में आ रहे हैं और ऐसे मरीजों को बचाना भी चुनौती बना हुआ है।

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