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    मेंटेनेंस के नाम पर हर वर्ष 10 करोड़ खर्च नतीजा फिर भी शून्य

  • December 05, 2022

    • 50 वर्षों से गंदगी से होकर गुजर रही पाइप लाइनों का हो रहा क्षरण

    जबलपुर। नगर निगम पाइप लाइन के रखरखाव के नाम पर हर वर्ष 10 करोड़ खर्च करता है, बावजूद इसके नतीजा शून्य ही नजर आता है। शहर के एक लाख 50 हजार घरों में पेयजल आपूर्ति करने वाला नगर निगम पाइपलाइन के रखरखाव पर हर वर्ष करीब 10 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। बावजूद इसके पेयजल आपूर्ति करने वाली पाइलाइनों को नाले.नालियों से आज तक अलग नहीं किया गया है। शहर के 79 वार्डों में कई वार्ड ऐसे हैं जहां मेनराइजिंंग लाइन से लेकर जलवितरण लाइन बीते 50 वर्षों से नाले-नालियों से होकर गुजर रही हैं। लगातार नाले-नाली के संपर्क में आने से पाइपलाइन में लीकेज भी हो गए हैं। जबकि तीन से चार इंच की जलवितरण करने वाली पाइपलाइन की उम्र 20 साल तक होती है। वहीं राइजिंगमेन लाइन के माध्यम से पिछले 50 वर्षों से जलापूर्ति की जा रही है। वहीं शहर में गंदे पानी की आपूर्ति का मुद्दा नगर निगम सदन की बैठक में उठा तो जिम्मेदारों ने पानी की जांच करने तीन सदस्यीय कमेटी बना दी लेकिन समिति ने कहां-कहां जांच की? ये कागजों में दब कर रही गई। क्योंकि जिन पार्षदों ने पानी गंदे पानी की आपूर्ति को लेकर सवाल उठाए थे उनका कहना है कि उनके वार्ड में जांच कमेटी जांच करने अब तक नहीं पहुंची है।



    कई वर्षों से दबी पाइपलाइन में होने लगा है क्षरण
    जलापूर्ति करने वाली पाइपलाइन को बीते 20 वर्षों से ज्यादा का समय हो गया है। अधिकांश क्षेत्रों की लाइन न बदले जाने के कारण लगातार नाली-नालियों के क्षारीय पानीए धूलएमिट्टी के संपर्क में रहने से पाइपलाइनों में क्षरण होने लगा है। यही कारण है कि जब चाहे तब जल वितरण में लीकेज हो रहे हैं। लीकेज के चलते गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। शहर के धनवंतरी नगर, एमआइजी सेक्टर, महादेव परिसर, शांतिनगर, रद्दी चौकी, अधारताल, कांचघर, सिद्धबाबा, गौतम जी मढिय़ा गढ़ा स्टेट सहित अधिकांश क्षेत्रों में नाली-नालियों से गुजर रही जलवितरण लाइन में लीकेज होने की समस्या से घरों में मटमैला पानी आ रहा है। कुलीहिल टैंक, रांझी जलशोधन संयंत्र की सफाई पर सवालशहर के सबसे बड़े टैंक कुलीहिल टैंक और रांझी जलशोधन संयंत्र से की जाने वाली जलापूर्ति की साफ-सफाई पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कुलीहिल टैंक का स्लेब जर्जर होने से गिर-गिर टैंक में समा रहा है जिससे इसकी अच्छी तरीके से सफाई भी नहीं हो पा रही है। वहीं रांझी जलशोधन संयंत्र में खुले में पानी स्टोर किया जा रहा है। जिसमें जीव.जंतुओं के गिरने का खतरा बना रहता है। गत दिवस निगमायुक्त आशीष वशिष्ठ ने भी रांझी जलशोधन संयंत्र के बेहतर रखरखाव न करने पर नाराजगी जताई थी।

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