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सारे उद्योगों को 1 यूनिट बिजली 10 रुपए में स्पेशल उद्योगों को 3.79 रुपए में प्रति यूनिट

February 07, 2022

  • सरकार के सौतेले व्यवहार से उद्योगपति दु:खी
  • उद्योगपतियों की मांग-सारे उद्योगों को एक दर पर बिजली दी जाए

उज्जैन। सरकार की बिजली के मामले दोहरी नीति से इंदौर-पीथमपुर के उद्योगपति दु:खी हैं, क्योंकि सारे उद्योगों को लगभग 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली का भुगतान करना पड़ता है, जबकि कुछ स्पेशल उद्योगों को सिर्फ 3 रुपए 79 पैसे प्रति यूनिट बिजली दी जा रही है। इस मामले में उद्योगपतियों के संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग की है कि सभी उद्योगों एक समान दर पर बिजली दी जाए। पीथमपुर औद्योगिक संगठन, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ मध्यप्रदेश ने मांग की है कि पीथमपुर सहित इंदौर के सारे उद्योगों को स्पेशल इकोनॉमिकल झोन के उद्योगों की तरह सस्ती बिजली की सुविधा दी जाए।


पीथमपुर के एसईझेड (स्पेशल इकोनॉमिकल झोन) में स्थापित सभी उद्योगों को 3.79 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ता है, जहां सिर्फ 87 कनेक्शन हैं। यहां हर माह 4 करोड़ यूनिट बिजली की खपत होती है, जिसका हर माह लगभग 15 करोड़ 16 लाख रुपए बिजली बिल उद्योग संचालकों को भरना पड़ता है, जबकि बाकी उद्योगों को करीब 10 रुपए यूनिट बिजली खरीदना पड़ती है। इसी मामले को लेकर उद्योग संचालकों में सरकार के प्रति नाराजगी है। औद्योगिक संगठनों का कहना है कि जब एमपीआईडीसी विद्युत कंपनी से बिजली खरीदकर स्पेशल इकोनॉमिकल झोन वाले उद्योगों को इतनी सस्ती बिजली दे सकता है तो अन्य उद्योगों को इसी तरह बिजली क्यों नहीं दी सकती। औद्योगिक संगठनों का कहना है कि सरकार यदि जिला उद्योग व्यापार केंद्र और औद्योगिक विकास निगम के जरिए सभी अन्य उद्योगों को बिजली देने की अनुमति दे तो सभी उद्योगों को सस्ती बिजली मिल सकती है। सरकार एक तरफ तो देश-विदेश में अपने यहां उद्योग लगाने के लिए इन्वेस्टर समिट आयोजित कर उन्हें सभी सुविधाएं देने का वादा करती है, मगर बिजली के मामले में वर्ष 2005 से दोहरी नीति अपनाती आ रही है। यह दोहरी नीति उद्योगों के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी नुकसानदायक है। यदि सरकार एक जैसी कीमत पर बिजली दे तो यहां इतने उद्योग स्थापित होंगे कि जमीनें कम पड़ जाएंगी।

नीति में बदलाव करना चाहिए
सोलर ऊर्जा के मामले में भी सरकार का रवैया ठीक नहीं है। एक तरफ तो सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की बात करती है, दूसरी तरफ उद्योग वाले जब सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की बात करते हैं तो उन्हें सिर्फ कुल खपत का सिर्फ 30 प्रतिशत सोलर ऊर्जा का लाभ देने के नियम में जकड़ देती है। इसलिए सरकार को बिजली के मामले में अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए।

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