नई दिल्ली। एक नए सर्वेक्षण में पता चला है कि वैश्विक रूप से चार लोगो में से एक COVID-19 कि वैक्सीन नहीं लगवाना चाहता है। जिसका मुख्य कारण वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स और प्रभावशीलता के बारे में उनकी आशंका है। लेकिन भारत में ऐसे लगभग 13 प्रतिशत से कम लोग है।
27 देशों के लगभग 20,000 लोगो के सर्वेक्षण ने भी भारतीयों (74%) को चीन (87%) और सऊदी अरब (75%)के बाद तीसरी सबसे आशावादी आबादी के रूप में देखा है जो सोचते है कि 2020 में ही COVID-19 की वैक्सीन आजाएगी।
विश्व स्तर पर, 74 प्रतिशत लोगो ने कहा कि यदि वैक्सीन उपलब्ध हैं तो वे इसे लगवाना चाहते है, लेकिन 59 प्रतिशत को इस साल वैक्सीन मिलने की उम्मीद नहीं है।
इन देशों में COVID-19 के टीकाकरण का इरादा सबसे मज़बूत पाया गया – चीन (97 प्रतिशत), ब्राज़ील (88 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (88 प्रतिशत), और भारत (87 प्रतिशत) हैं।
जहां सबसे कम है : रूस (54 फीसदी), पोलैंड (56 फीसदी), हंगरी (56 फीसदी) और फ्रांस (59 फीसदी) हैं।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि इसके विपरीत, जर्मनी, बेल्जियम, जापान और पोलैंड में संशय की स्थिति बनी हुई है, जहां में चार में से एक लोग यह अनुमान लगाते हैं कि टीका अगले चार महीनों में उपलब्ध होगा। उन लोगों के बीच एक वैक्सीन नहीं लेने का सबसे अक्सर उल्लेख किया गया है। इन्हे साइड इफेक्ट के बारे में चिंता है, जिसके बाद प्रभावशीलता की धारणा है।
सर्वेक्षण किए गए देशों में अमेरिका, कनाडा, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, दक्षिण कोरिया, पेरू, अर्जेंटीना, मैक्सिको, स्पेन, नीदरलैंड, स्वीडन और इटली भी शामिल हैं।
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