नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में जब भारत और चीन के जवानों के बीच झड़प हुई और 20 भारतीय जवान शहीद हो गए, तब से ही दोनों देशों के आपसी संबंधों में एक तल्खी बनी हुई है. भारत और चीन के बीच का ये तनाव अब इकोनॉमी पर भारी पड़ रहा है. इसकी वजह से अब तक 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार का नुकसान हो चुका है.
भारत-चीन की टेंशन ने पिछले 4 साल में करीब 1 लाख से अधिक लोगों की जॉब पर असर डाला है. वहीं प्रोडक्शन से लेकर एक्सपोर्ट तक के लेवल पर 2.2 लाख करोड़ रुपए का संभावित नुकसान इकोनॉमी को पहुंचा चुका है. भारत-चीन तनाव पर इंडस्ट्री एक्सपर्ट के हवाले से ईटी ने एक खबर में बताया कि इससे देश के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चर सेक्टर को 15 अरब डॉलर के प्रोडक्शन तक का नुकसान हुआ है. इसकी वजह से बीते 4 साल में करीब 1 लाख लोगों के रोजगार में कटौती हुई है.
भारत-चीन के बीच टेंशन बढ़ने के बाद भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्स को बैन कर दिया था. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. इसके बाद भारत में कारोबार करने वाली चीनी कंपनियों की टैक्स चोरी से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोपों की जांच हुई. चीनी अधिकारियों के वीजा में देरी की जाने लगी. हालांकि इस सबका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ा.
भारत-चीन तनाव की वजह से जहां 15 अरब डॉलर के प्रोडक्शन का नुकसान हुआ. ईटी की खबर के मुताबिक इसने भारत से 10 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट को भी छीनने का काम किया है. वहीं 2 अरब डॉलर का वैल्यू एडिशन भी इस टेंशन की वजह से नहीं हो पाया. ये ओवरऑल देश इकोनॉमी को हुए संभावित 2.2 लाख करोड़ रुपए के नुकसान को दिखाता है.
भारत और चीन के तनाव का असर ये है कि अभी भी चीनी एग्जीक्यूटिव्स की 4,000 से 5,000 वीजा एप्लिकेशन पेंडिंग पड़ी हैं. ये स्थिति तब है जब भारत बिजनेस वीजा को महज 10 दिन में क्लियर करने की व्यवस्था बनाने पर काम कर रहा है. वहीं भारत में कारोबार करने वाली चीन की इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां अपने निवेश को लेकर सशंकित हैं. जबकि भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री के एक्सपेंशन प्लान पर भी इसका असर हो रहा है.
इस बारे में ‘द इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन’ (ICEA) और ‘मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MAIT) जैसे संगठन ने भारत सरकार से जल्द से चीनी एग्जीक्यूटिव्स के वीजा क्लियर कराने के लिए कहा है, जिसमें अभी 1 महीने से अधिक का समय तक लग रहा है. भारत में इन चीनी अधिकारियों की जरूरत टेक्नोलॉजी और स्किल ट्रांसफर, प्रोडक्शन यूनिट को लगाने और चालू करने, मेंटिनेंस करने और एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए जरूरी है.
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