नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में लाखों लोगों की नौकरी गई है. दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने फ्रेशर से लेकर लंबे समय से काम कर रहे लोगों को नौकरी से निकाला है. कंपनियों से छंटनी सिर्फ ग्लोबल स्तर पर ही नहीं, बल्कि भारत में भी खूब हुई है.
बड़ी कंपनियों के साथ ही देश की स्टार्टअप कंपनियों ने भी लोगों को नौकरी से निकाला है. भारत में एक समय की तेजी से उभर रहा स्टार्टअप इकोसिस्टम गंभीर नौकरी संकट का सामना कर रहा है. स्टाफिंग फर्मों और हेडहंटर्स के अनुसार, स्टार्टअप में छंटनी सार्वजनिक रूप से बताई गई तुलना में कम से कम तीन गुना अधिक होने का अनुमान है.
दो साल में स्टार्टअप से निकले इतने कर्मचारी
पिछले 24 महीने यानी दो साल के दौरान 1,400 से ज्यादा कंपनियों ने 91 हजार के करीब कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है. लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, टेक फोकस हायरिंग फर्म टॉपहायर के आंकड़ों से पता चलता है कि छिपी हुई छंटनी के ध्यान में रखते हुए निकाले गए कर्मचारियों की संख्या 120,000 तक पहुंच सकता है.
कौन सी प्रमुख कंपनियों से छंटनी
भारत के स्टार्टअप कंपनियों से छंटनी की बात करें तो इसमें यूनिकॉर्न या 1 बिलियन डॉलर या उससे अधिक मूल्य के स्टार्टअप शामिल हैं. इसमें बायजू, अनएकेडमी, ब्लिंकिट, मीशो, वेदांतु, ओयो, ओला, कार्स24 और उड़ान ने कर्मचारियों की संख्या को कम किया है.
फंडिंग कम होने से ज्यादा हुई छंटनी
सार्वजनिक तौर पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो साल के दौरान 25,000-28,000 की छंटनी हुई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि तरलता संकट के कारण धन की कमी हो गई, जिससे भारत में कई स्टार्टअप को अपने मासिक खर्चों में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. वहीं दुर्लभ फंडिंग के कारण स्टार्टअप्स को मार्केटिंग खर्चों में कटौती करने और लागत को फिर से व्यवस्थित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
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