नई दिल्ली (New Delhi)। बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) (Banks, Non-Banking Financial Companies (NBFCs) और अन्य वित्तीय संस्थानों (financial institutions) के खिलाफ चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों (six months) में 1.44 लाख शिकायतें (1.44 lakh complaints) मिली हैं। सबसे ज्यादा 24 फीसदी शिकायतें कर्ज को लेकर हैं। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (RBI’s financial stability report) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक कुल 146 बैंकों पर कार्रवाई कर 57.07 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इनमें 9 सरकारी, 6 निजी और अन्य बैंक शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में कुल 69,120 शिकायतें मिली थीं। जुलाई-सितंबर तिमाही में शिकायतों की संख्या 75,280 थी। इसी प्रकार, अप्रैल-जून तिमाही में कर्ज को लेकर उचित व्यवहार संहिता का पालन नहीं करने की 24 फीसदी यानी 16,607 शिकायतें दर्ज की गई थीं। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह संख्या बढ़कर 17,732 पहुंच गई। मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग संबंधी शिकायतों की संख्या अप्रैल-जून में 12,604 थीं। जुलाई-सितंबर में 12,588 शिकायतें मिलीं। अन्य उत्पाद और सेवाओं से संबंधित शिकायतें क्रमश: 10,154 और 13,129 रहीं।
18 करोड़ खाते बंद
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च, 2023 तक देश में 304.9 करोड़ बैंक खाते थे। सितंबर तक यह संख्या घटकर 287.1 करोड़ रह गई। यानी इस दौरान 17.8 करोड़ खाते बंद हो गए। इस आधार पर 140 करोड़ की आबादी में प्रति व्यक्ति दो खाते हैं। रिपोर्ट में बंद खातों का विवरण तो नहीं है, पर माना जा रहा है कि ज्यादातर बंद खाते जनधन के हैं। कुल 50 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते हैं, जिनमें करीब 20 फीसदी बंद होने का अनुमान है।
खुदरा कर्ज : हर साल 25.5 फीसदी रफ्तार से बंटे
बैंकों व एनबीएफसी ने सितंबर, 2021 से सितंबर, 2023 के बीच यानी दो वर्ष में सालाना 25.5 फीसदी की रफ्तार से खुदरा कर्ज बांटे हैं। हालांकि, इस अवधि में कुल कर्ज वृद्धि दर महज 18.6 फीसदी रही। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक, कुल ऋण में खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी सितंबर, 2021 में 37.7 फीसदी थी। सितंबर, 2023 में यह 42.4 फीसदी पहुंच गई। असुरक्षित खुदरा कर्ज 27 फीसदी बढ़ा है, जिनकी कुल खुदरा कर्ज में 23.3 फीसदी हिस्सेदारी है।
बैंकों की ओर से एनबीएफसी को जून, 2021 से जून, 2023 के दौरान दिए कर्ज में 26.3 फीसदी दर से वृद्धि हुई है। बैंकों की कुल कर्ज वृद्धि दर 14.8 फीसदी रही है। हालांकि, इस तरह के कर्ज ज्यादातर शीर्ष रेटिंग वाली एनबीएफसी को दिए गए हैं। 80 फीसदी कर्ज एए रेटिंग वाली कंपनियों को मिले हैं।
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