उज्जैन। आजादी के 75 साल बाद भी नगर निगम और पीएचई शहर की आधी आबादी तक ही पीने का पानी पहुँचाने के लिए पीएचई की पाईप लाईन डाल पाए हैं। शहर की करीब 6 लाख की आबादी सवा लाख घरों में रह रही है। पीएचई के नल कनेक्शन 63 हजार ही हो पाए हैं। इनमें भी घरों से लेकर व्यवसायिक और उद्योगों के नल कनेक्शन शामिल हैं। आज से लगभग 3 साल पहले केन्द्र सरकार ने धार्मिक नगरी उज्जैन को देश के सबसे पहले स्मार्ट बनने जा रहे 100 शहरों में शामिल कर लिया था। इसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि नगर के हर घर तक पीएचई की पाईप लाईन पहुँच जाएगी और उन्हें पीने के पानी के लिए कुएं, हैंडपंप या फिर बोरिंग के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। हालांकि इसके पहले भी पूरे शहर में पीएचई की पाईप लाईन घर-घर तक पहुँचाने के दावे जनप्रतिनिधि और अधिकारी करते रहे हैं। बावजूद इसके आजादी के 75 साल बाद भी शहर की अब लगभग 6 लाख तक पहुँच चुकी आबादी तक पीने का पानी नहीं पहुँच पाया है। पीएचई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के रिकार्ड में उज्जैन शहर में 63 हजार वैध नल कनेक्शन दर्ज हैं।
इसमें भी आवासीय, व्यवसायिक और औद्योगिक श्रेणी के नल कनेक्शन हैं। जबकि शहर की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 6 लाख के करीब हो चुकी है। इधर नगर निगम के संपत्तिकर विभाग में उज्जैन में अभी तक 1 लाख 6 हजार 445 भवनों का पंजीयन है जिनसे हर साल नगर निगम संपत्तिकर वसूल रहा है। कुल मिलाकर इस मान से भी पीएचई के नल कनेक्शन का आंकलन किया जाए तो 63 हजार वैध नल कनेक्शन के बराबर ही लगभग इतने मकान शहर में है जहाँ पीएचई की लाईन नहीं पहुँच पाई है। ऐसे में शहर की आबादी अभी भी अपने आसपास के कुओं, हैंडपंप या फिर खुद के बोरिंग पर निर्भर होकर जीवन जी रही है।
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