लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार ने 45 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 1.37 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया है। ये भुगतान पूर्व बहुजन समाज पार्टी सरकार द्वारा की गई राशि का दोगुना और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की सरकार से 1.5 गुना अधिक है। बसपा सरकार के दौरान गन्ना किसानों को 52,131 करोड़ रुपये और अखिलेश शासन के दौरान 95,215 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने अखिलेश सरकार के गन्ना किसानों के 10,661 करोड़ रुपये के बकाया को भी मंजूरी दे दी है।पिछली सरकारों के दौरान बंद हुई चीनी मिलों को योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुनर्जीवित किया और राज्य अब देश में चीनी उत्पादन में पहले स्थान पर है।प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार की पहल ने गन्ना किसानों और उद्योग जगत की किस्मत ही बदल दी है।राज्य सरकार ने चार पेराई सीजन में 4,000 लाख टन से अधिक गन्ने की पिराई की है और रिकॉर्ड 476 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।
प्रवक्ता ने कहा, “एक अन्य रिकॉर्ड उत्पादन में राज्य में 2017 और जनवरी 2021 के बीच 54 डिस्टिलरी के माध्यम से कुल 280 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया गया है।”25 वर्षों में पहली बार 267 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किए गए, जिनमें से 176 इकाइयां चालू हो चुकी हैं।इन इकाइयों में 388 करोड़ रुपये के निवेश से करीब 20 हजार लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।आज देश में 47 प्रतिशत चीनी का उत्पादन उत्तर प्रदेश में हो रहा है।
गन्ना क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 8.45 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद में 20.18 प्रतिशत का योगदान देता है,जबकि गोरखपुर के पिपराइच शहर और बस्ती के मुंडेरा शहर में अत्याधुनिक चीनी मिलें स्थापित की गईं, बंद रमाला चीनी मिल की क्षमता को बढ़ाकर चालू किया गया है।संभल और सहारनपुर की बंद पड़ी चीनी मिलों को भी फिर से खोल दिया गया है। बागपत चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर कोजेनरेशन प्लांट लगाया गया है।इसके अलावा 11 निजी मिलों की क्षमता भी बढ़ाई गई। आठ साल से बंद वीनस, दया और वेव चीनी मिलों को भी फिर से शुरू कर दिया गया है। प्रवक्ता ने बताया कि साथियां और नजीबाबाद सहकारी मिलों में भी एथेनॉल प्लांट लगाए गए हैं।
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