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    भारत का प्रतिनिधित्व राम करते हैं, बाबर नहीं: सौमित्र गोखले

  • August 05, 2020

    अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भूमि पूजन को लेकर अमेरिका में प्रवासी भारतीयों में भारी उत्साह है। मंगलवार की रात (भारत में सुबह) प्रवासी भारतीयों ने अपने अपने घरों में घी के दीये जलाए, वर्चुएल भजन संध्या में भाग लिया। इससे पूर्व अमेरिका और कनाडा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक सौमित्र गोखले ने एक ‘वर्चुएल’ सम्बोधन में राम मंदिर निर्माण में भूमि पूजन को देश के गौरव और राष्ट्र के स्वाभिमान का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व मर्यादा पुरूषोतम राम करते हैं, बाबर नहीं। उन्होंने इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि मंदिर निर्माण विजय पर्व नहीं है, यह हमारी प्रतिबद्धता थी।

    राम मंदिर निर्माण में छात्र जीवन से सतत जुड़े रहे गोखले ने एक घंटे के उदबोधन में कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए पिछले पांच सौ वर्षों से राम भक्तों ने सतत संघर्ष किया है। इस संदर्भ में उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़ी परत दर परत घटनाओं के संदर्भ में साक्ष्यों के साथ एक सचित्र झांकी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में राम भक्त जब जब अयोध्या गए हैं, उन्होंने वहाँ विराजमान राम लल्ला से एक ही शपथ ली है कि ‘राम लल्ला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे।’ इस मार्ग में साम्यवादी और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने बीच बीच व्यवधान खड़े किए हैं, लेकिन पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फ़ैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ़ हो चुका है। उन्होंने कहा कि राम राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक हैं, सभी धर्मों, जाति और समाज से ऊपर हैं। उन्होंने राम मंदिर निर्माण आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंगल और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक मोरोपंत पिंगले के योगदान के बारे विशेष उल्लेख किया।

    इस अवसर पर एक प्रश्न के जवाब में श्री सौमित्र गोखले ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन और पूणे से अपने छात्र जीवन से जुड़ी घटनाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश भर में राम मंदिर आंदोलन इतना व्यापक रहा है उसे भुलाना संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस समय देश में अयोध्या चलो आंदोलन चल रहा था, राम भक्तों को रोकने के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पुलिस ने व्यापक बंदोबस्त किए हुए थे। इसके बावजूद विभिन्न प्रदेशों की तरह महाराष्ट्र से भी हज़ारों पुरुषों और महिलाएँ ने आंदोलन में भाग लिया। वे सरकारी रुकावटों के बावजूद पैदल ही अयोध्या के लिए कूच करने लगे। इन हज़ारों लोगों के मार्च में ऐसी कितनी ही महिलाएँ थीं, जो रास्ते के लिए खाना बना कर लाई थी। वे मार्ग में अपने सह यात्रियों से भोजन के लिए कहती थी। वे मनुहार करती थी कि उन्होंने भोजन अपने हाथों से बनाया है। इस मार्च में एक घटना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रास्ते में गोमती नदी पार करने के लिए एक नाविक ने अपनी नाव से 55 हज़ार लोगों को नदी पार कराया था, जो अद्भुत घटना है। इस पर भी, उस नाविक ने किसी रामभक्त से नदी पार करने का एक रुपया नहीं लिया।

    इस आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल से सम्पर्क के बारे में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के जवाब में सौमित्र गोखले ने बताया कि अशोक सिंघल ने आंदोलन में छात्रों और युवाओं की भूमिका की हमेशा सराहना की है। इस के बावजूद उन्होंने छात्रों की शिक्षा को कभी नज़रंदाज नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह पूणे में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में थे। परीक्षाएँ समीप थी। वे कालेज के अन्यान्य छात्रों के साथ कार सेवा में हिस्सा लेना चाहते थे। इस के लिए कालेज प्रांगण में दो हज़ार छात्र जुटे थे। इस कार्यक्रम में अशोक सिंगल अकस्मात् पहुंचे थे। उन्होंने छात्रों के जज़्बे की सराहना की थी, लेकिन साथ में यह भी कहा था, ”लड़ाई और पढ़ाई” में से छात्रों को पहले पढ़ाई ही चुननी चाहिए।”

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